Parliament Special Session: पुरानी संसद भवन को विदा देते हुए पीएम मोदी का संबोधन, कहा- इसे विदेशी शासकों ने बनाया था, लेकिन इसमें पैसा, परिश्रम और पसीना भारतीयों का लगा

पीएम मोदी ने कहा, आजादी के बाद संसद भवन के रूप में इसे पहचान मिली. ये सही है, इस इमारत के निर्माण करने का फैसला विदेशी शासकों का था

संसद modi photo

Parliament Special Session: संसद के विशेष सत्र की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से हुई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद का पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियो को प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि ये देश के लिए आगे बढ़ने का समय है। हम भले ही नए संसद भवन में जाएंगे लेकिन पुराना संसद भवन भी लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। इसके निर्माण में हमारे देश के लोगों का पैसा और पसीना लगा था।
हम ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैँ।

पुरानी संसद में है भारतीयों का पसीना

पीएम मोदी ने आगे कहा कि हम सभी इस ऐतिहासिक इमारत को अलविदा कह रहे हैं। आजादी से पहले यह सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल की जगह था। आजादी के बाद इसे संसद भवन की पहचान मिली। यह सच है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों ने लिया था, लेकिन हम कभी नहीं भूल सकते और गर्व से कह सकते हैं कि इसके निर्माण में जो मेहनत और पैसा लगा, वह मेरे देशवासियो का था।

पीएम ने कहा कि पुरी दुनिया आज भारत में अपना मित्र ढूंढ रही है। सबका साथ, सबका विकास का मंत्र सबको जोड़ रहा है। ये संसद हम सबकी साझी विरासत है। पुरानी संसद से विदा लेना भावुक पल है। पीएम ने कहा कि लोकतंत्र की ताकत बहुत बड़ी है। रेलवे स्टेशन पर गुजारा करने वाला संसद पहुंच गया।

गोलियां खाने वालों को किया नमन 

पीएम मोदी ने कहा, आतंकी हमला हुआ, पूरे विश्व में ये हमला एक इमारत पर नहीं था। ये लोकतंत्र की मां, हमारी जीवात्मा पर ये हमला था। ये देश उस घटना को कभी भूल नहीं सकता है। लेकिन आतंकियों से लड़ते-लड़ते सदन को बचाने के लिए और सदस्य को बचाने के लिए जिन्होंने अपने सीने पर गोली झेली मैं उन्हें भी नमन करता हूं। वे हमारे बीच में नहीं है, लेकिन उन्होंने बहुत बड़ी रक्षा की।

पत्रकार मित्रों को भी किया याद

इतना ही नहीं पीएम मोदी ने कहा कि, मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं। जिन्होंने जीवनभर संसद को ही कवर किया है। उन्होने पल पल की जानकारी देश तक पहुंचाई हैं। वे अंदर की भी बात जनता तक पहुंचाते थे और अंदर से अंदर की भी बात पहुंचाते थे. मैंने देखा ऐसे पत्रकारों को जिन्होंने संसद को कवर किया, उनके नाम नहीं जाने जाते होंगे, लेकिन उनके योगदान को भूल नहीं सकते।

 

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