Patanjali: सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु स्वामी रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को बड़ी राहत देते हुए भ्रामक विज्ञापन मामले में उनके द्वारा मांगी गई माफी को स्वीकार कर लिया है। इस फैसले के साथ ही रामदेव और उनके सहयोगियों के खिलाफ़ चल रही अवमानना कार्यवाही को भी समाप्त कर दिया गया है, जो कोरोनिल दवा के विवादास्पद दावों से उत्पन्न हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट से राहत
सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु स्वामी रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव, बालकृष्ण, और Patanjali द्वारा मांगी गई माफी स्वीकार कर ली है और उनके खिलाफ़ चल रही अवमानना कार्यवाही को भी समाप्त कर दिया है। इनकी ओर से अधिवक्ता गौतम तालुकदार ने कहा कि कोर्ट ने उनके वचनों के आधार पर अवमानना कार्यवाही बंद करने का फैसला किया है।
क्या है पूरा मामला
Patanjali ने 2021 में कोरोनिल नामक एक दवा लॉन्च की थी, जिसे कोरोना वायरस के इलाज में प्रभावी बताया गया था। इसके अलावा, पतंजलि ने दावा किया था कि इस दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से प्रमाणन प्राप्त हुआ है, जिसे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने “सरासर झूठ” बताया था। अगस्त 2022 में IMA ने पतंजलि के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें एक विज्ञापन में पतंजलि की दवाओं को मधुमेह, उच्च रक्तचाप, थायराइड, लीवर सिरोसिस, गठिया और अस्थमा जैसी बीमारियों को ठीक करने का दावा किया गया था। पिछले साल, 21 नवंबर को पतंजलि आयुर्वेद ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करेगा, विशेष रूप से अपने उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग से संबंधित कानूनों का पालन करेगा।
क्या होते परिणाम
अगर सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि और उसके प्रमुखों द्वारा भेजी गई माफी स्वीकार नहीं की होती, तो अवमानना कार्यवाही जारी रहती, जिससे दंड और जुर्माना लग सकता था। इसके अतिरिक्त, पतंजलि को विवादित विज्ञापनों को जारी रखने या नए विज्ञापन देने से रोका जा सकता था, और यह उनके व्यवसाय और प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता था। कानूनी प्रक्रिया लंबी हो सकती थी, जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती। इन संभावनाओं से बचने के लिए पतंजलि ने माफी स्वीकार की और कोर्ट ने अवमानना कार्यवाही को समाप्त कर दिया।