PM Modi in Russia : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में पहली बार भारतीय परंपरा को तोड़ते हुए पहला दौरा किसी पड़ोसी देश का करने के बजाय भारत के 70 साल पुराने दोस्त के घर का किया है। इस बार पीएम मोदी का रूस का दौरा कई मायनों में विशेष होगा।
रूस हमेशा से सामरिक दृष्टि से भारत का करीबी रहा है और यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री रूस के दौरे पर हैं। व्यापार के लिए इस दौरे को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रणनीतिकारों का मानना है कि इस दौरे से तेल और समंदर के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं।
पुतिन की मोदी से 16 बार हो चुकी है मुलाकात
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद व्लादीमीर पुतिन के साथ उनकी 16 मुलाकातें हो चुकी हैं, लेकिन 2021 के बाद दोनों नेता आमने-सामने नहीं हुए हैं। बीते 3 साल में वर्ल्ड पॉलिटिक्स में काफी बदलाव आ चुका है। यूक्रेन के साथ लंबे युद्ध और अमेरिकी प्रतिबंधों को झेलते हुए रूस को नए दोस्तों के साथ पुराने सहयोगियों की भी जरूरत है। इसलिए, लगभग 4 दशकों बाद किसी रूसी नेता ने उत्तर कोरिया का दौरा किया।
अब पीएम मोदी के साथ पुतिन की द्विपक्षीय वार्ता दोनों ही देशों के लिए बहुत खास होगी। भारतीय राजनीति में यह परंपरा है कि प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद पहला विदेशी दौरा पड़ोसी देश का होता है। मोदी ने भी प्रधानमंत्री बनने के बाद 2014 में भूटान का और 2019 में मालदीव-श्रीलंका का दौरा किया था। इस बार यह परंपरा भी टूट गई है।
भारत और रूस का व्यापारिक संबंध
दोनों देशों के व्यापार को देखें तो भारत रूस को दवाएं, कार्बनिक रसायन, इलेक्ट्रिक मशनरी, मैकेनिकल अप्लायंस, आयरन और स्टील भेजता है। भारत रूस से तेल और पेट्रोलियम प्रोडक्ट, फर्टिलाइजर्स, मिनरल रिसोर्सेज, कीमती पत्थर और मेटल, खाद्य तेल आदि आयात करता है। इसके अतिरिक्त, भारत सबसे अधिक डिफेंस प्रोडक्ट रूस से ही खरीदता है। एक अनुमान के अनुसार, भारत का 70 प्रतिशत हथियार रूस से आयातित है या रूस के सहयोग से निर्मित होता है।
क्या कहना है अधिकारियों का ?
अधिकारियों के मुताबिक, इस बार की वार्ता भारत और रूस दोनों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। रूस को यूरोप और अमेरिका के संकेतों के कारण बैंकिंग की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसे वह भारत के माध्यम से हल करना चाहता है।
दूसरी ओर, भारत को अपनी बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रूस से तेल और एनएनजी के लंबे समय के अनुबंध की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन मार्ग (International North-South Transport Corridor), चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग और उत्तर सागरीय मार्ग (North Sea Corridor) के निर्माण पर भी चर्चा हो सकती है।
रूस से दोस्ती है महत्वपूर्ण
प्रधानमंत्री मोदी रूस के साथ बातचीत के दौरान S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की त्वरित आपूर्ति पर चर्चा कर सकते हैं। भारत ने अमेरिका, इजराइल और फ्रांस के अलावा रूस से भी कई रक्षा सौदे किए हैं, लेकिन चीन के साथ बढ़ते तनाव के समय रूस का समर्थन भारत के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने पहले भी घोषणा की है कि वह भारत को दी गई रक्षा प्रौद्योगिकी को किसी अन्य देश के साथ साझा नहीं करेगा। इस संदर्भ में, भारत के लिए महत्वपूर्ण है कि वह रूस के साथ एक नया रक्षा सौदा आगे बढ़ाए।