Prayagraj: जामिया हबीबिया मदरसे में नकली नोट छापने के मामले के बाद आज बड़ी कार्रवाई की गई। सिविल लाइन्स पुलिस और विकास प्राधिकरण की टीम ने मदरसे को खाली करवा कर उसे सील कर दिया।
यह कार्रवाई मदरसे के अवैध निर्माण के मामले में की गई, और सीलिंग का बैनर मदरसे पर लगा दिया गया। अब विकास प्राधिकरण मदरसे की जमीन के कागजातों की भी जांच करेगा।
सूत्रों के अनुसार, प्रयागराज (Prayagraj) के अतरसुइया इलाके में स्थित इस मदरसे में लगभग सौ छात्र इस्लामिक शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, जिनमें से सभी छात्र बिहार और झारखंड के थे। मदरसे के सभी छात्र और मौलाना अपना सामान समेटकर अपने घर चले गए हैं।
मदरसे में छप रही थी नकली नोट
मदरसे के प्रिंसिपल तफसिरुल और मौलाना जाहिर खान पर आरोप है कि उन्होंने मदरसे में नकली नोट छापने की फैक्ट्री चलाई। प्रिंसिपल के कमरे से सौ-सौ रुपये के एक लाख तीस हजार रुपये के नकली नोट बरामद हुए थे।
इसके अलावा, उनके कमरे से स्पीड पोस्ट की पर्चियां और कुछ भड़काऊ किताबें भी मिलीं। इन किताबों को लेकर खुफिया एजेंसियां मौलाना और प्रिंसिपल के कट्टरपंथी संगठनों से संबंधों की जांच कर रही हैं।
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नकली नोट छापने वाला मदरसा सील
खुफिया एजेंसियां मदरसे और उसके प्रिंसिपल सहित सभी मौलानाओं के आर्थिक स्रोतों की भी पड़ताल कर रही हैं, क्योंकि यह पता चला है कि जकात के रूप में विदेशों से मदरसे को धन भेजा जाता था।
इसके अलावा, पुलिस और आईबी के साथ अन्य सुरक्षा एजेंसियां प्रिंसिपल के कार्यकाल के दौरान पढ़ाए गए छात्रों की भी जांच कर रही हैं। प्रिंसिपल के कमरे से मिली किताबों से स्पष्ट है कि वह कट्टरपंथी विचारधारा का समर्थक था और संभवतः उसने छात्रों का ब्रेनवॉश किया हो।
हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस मामले में कोई जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन खुफिया एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या मदरसे से निकले छात्र किसी आतंकी गतिविधियों में शामिल थे या किसी आतंकी संगठन से जुड़े हुए थे। इसके लिए पिछले पांच सालों के रिकॉर्ड की भी जांच की जा रही है।