RSS प्रमुख मोहन भागवत का बयान: भारत को मजबूत नहीं होने देना चाहते बाहरी ताकतें… और क्या कहा

मोहन भागवत ने कहा कि कुछ ताकतें हमें बांटना चाहती हैं। दुनिया में ऐसी ताकतें हैं जो नहीं चाहतीं कि भारत मजबूत बने। उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले सभी लोग, हम सब मन से एक हैं।

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RSS: प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि जो लोग भारत को बढ़ते नहीं देखना चाहते, वे देश और समाज को बांटने में लगे हैं, जबकि भारत में रहने वाले सभी लोग एक आत्मा, एक शरीर, हम सब मन से एक हैं। जब राष्ट्र की सीमा पर हमला होता है, तब कोई किसी से नहीं पूछता कि तुम कहां से हो, सभी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए एक मन, एक भावना से एकजुट रहते हैं। RSS प्रमुख ने ये बातें 3 जुलाई को एम्स ऋषिकेश में आने वाले मरीजों के लिए विश्राम सदन के उद्घाटन के मौके पर कहीं।

स्वार्थ के लिए बाहरी लोग

डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हमने अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए बाहरी लोगों को बुलाया। हमारे लिए बाहर कोई नहीं है, लेकिन हमने दूसरों को बुलाकर सांपों को मरवाया, जिन्हें हम सांप समझते थे, इसलिए हम गुलाम बन गए, फिर हमारा शोषण हुआ, हमारी संपत्ति चली गई, क्योंकि हम अपने अधिकार भूल गए, यह भारत का हमारा अधिकार है, यह हमारी सच्चाई है।

भारत में जन्म लेना इतने लोगों के जन्म का परिणाम है, वे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हमें भारत में जन्म दें, उस पुण्य के कारण दुनिया में कुछ लोग हैं जो ऐसी प्रार्थना करते हैं, लेकिन जिस दिन हम यह भूल गए, हम भूल गए कि उस दिन से क्या हुआ, हमें इस बात की परवाह नहीं रही कि हम एक-दूसरे से दूर होते चले गए, हम आपस में ही लड़ते रहे।

मुख्य बातें:

“हम एक राष्ट्र हैं, हम एक समाज हैं”

उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसी ताकतें हैं जो नहीं चाहतीं कि भारत मजबूत बने। दुनिया में ऐसी ताकतें हैं जिनकी स्वार्थ की दुकानें भारत के मजबूत होने से बंद हो जाएंगी। उनका प्रयास है कि भारत कभी ऊपर न उठे। ऊपर से तो वे मीठी-मीठी बातें करेंगे, लेकिन अंदर सब समझते हैं, हम भी जानते हैं, जो जानना चाहते हैं वे भी जानते हैं, उनका निरंतर उद्देश्य यही है कि हम आपस में बंटे रहें, आपस में लड़ते रहें, इसे ठीक करना होगा।

हम एक राष्ट्र हैं, हम एक समाज हैं, हमारा शरीर एक है, जन-गण मन कहता है, हम दिल से एक हैं। चाहे कितने भी झगड़े हों, एक-दूसरे के बारे में कितनी भी बेतुकी बातें कही जाएं, लेकिन जब भारत की सीमा पर हमला होता है, तो पूरा देश मतभेद भूलकर खड़ा हो जाता है, इतने लंबे समय तक यह कहां से आता है, यह अंदर की सच्चाई है।

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महापुरुषों के बारे में आरएसएस प्रमुख ने क्या कहा?

उन्होंने कहा कि देश में ऐसे कई महापुरुष हैं जिनके साथ हम चलते हैं, किसी का विरोध नहीं है, उनकी याद में सभी जुड़ जाते हैं। विवेकानंद, शिवाजी महाराज ऐसे नाम हैं, ऐसे पूर्वजों को हम अपना गौरव मानते हैं। आज भारत की ताकत प्रतिष्ठा बन गई है। भारतीय खिलाड़ी शीर्ष पर आ सकते हैं। भारत चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर भी अंतरिक्ष यान उतार सकता है जहां अब तक कोई नहीं गया है।

भारत अपनी सीमाओं पर मजबूती से खड़ा है। अंदर घुसकर उपद्रवियों को मार गिराती है। ये प्रतिष्ठा भारत के लिए बनी थी। स्वामी विवेकानंद के पास एक पैसा नहीं था, उन्होंने कुछ कमाया नहीं था, घर में गरीबी थी। विवेकानंद ने कुछ कमाया नहीं था, वे कभी ग्राम पंचायत में नहीं चुने गए, उन्हें कोई सत्ता का पद नहीं मिला, क्योंकि उनके जीवन का लक्ष्य स्पष्ट था।

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