Shreya Verma: आजकल, पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की पोती श्रेया वर्मा चर्चा में हैं। वह सिर्फ इसलिए चर्चा में हैं कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 35 साल से भी कम उम्र के युवाओं को अवसर दिया है, बल्कि इसलिए भी कि उन्हें गोंडा की चुनौतीपूर्ण सीट पर प्रत्याशी बनाया गया है।
गोंडा के पड़ोसी जिले बाराबंकी की रहने वाली श्रेया ने देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल से शिक्षा प्राप्त की है, साथ ही दिल्ली के रामजस कॉलेज से इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। अपने बाबा बेनी प्रसाद वर्मा के साथ कॉलेज की पढ़ाई पूरी की, जब वे सांसद और केंद्रीय मंत्री थे।
बाबा से सीखा समाजवाद
Shreeya के पिता राकेश वर्मा भी विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं। Shreya कहती हैं कि दिल्ली में बाबा के साथ रहने से उन्हें राजनीतिक मूल्यों और समाजवादी विचारों का ज्ञान मिला। Shreeya ने पहले चुनाव नहीं लड़ा था, लेकिन कॉलेज से निकलते ही वह सामाजिक सरोकारों से जुड़ गई थीं।
वह एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) से जुड़कर दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सुधार की कोशिश में शामिल हुईं, लेकिन घर लौटते ही राजनीति में व्यस्त हो गईं।
पहली बार, लेकिन लड़ाई का पूरा अनुभव
श्रेया ने समाजवादी पार्टी में करीब चार साल पहले महिला सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से पदार्पण किया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में बाराबंकी में अपने पिता राकेश वर्मा के चुनाव की कमान संभाली, साथ ही इसी संगठन के लिए पूरे प्रदेश में काम किया। राकेश वर्मा केवल 217 वोटों से पराजित हुए थे।
बड़ी राजनीतिक पूर्वाग्रह
2014 में बेनी प्रसाद वर्मा ने कांग्रेस पार्टी से गोंडा से अपना अंतिम चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए। 2009 में वह केंद्रीय मंत्री और गोंडा से सांसद चुनाव जीता था। 2014 में भी मौजूदा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह, जिन्हें फिर से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है, हार गए थे।
श्रेया गोंडा की जीत बाबा की हार का बदला होगी। बगल की कैसरगंज सीट से भी चार बार सपा सांसद रहे हैं बेनी प्रसाद वर्मा। बाराबंकी से कई बार विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं। वह पार्टी में मुलायम सिंह यादव के बाद नंबर दो थे। कुर्मी समाज के बड़े नेता थे.