उन्होंने कहा कि वेतन का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर पाने के लिए न्यूनतम सेवा अवधि 25 साल होनी चाहिए। हालांकि, न्यूनतम 10 साल की सेवा अवधि के लिए आनुपातिक तौर पर पेंशन दी जाएगी। वहीं, कर्मचारियों को NPS या UPS स्कीम में से किसी एक को चुनने की आजादी होगी। ऐसे में हम आपको बताते हैं कि इन दोनों पेंशन स्कीम में क्या अंतर है।
मोदी सरकार ने यूपीएस को मंजूरी दी
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले सरकारी कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को मंजूरी दी गई, जिसके तहत सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान है।
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यहां NPS (नेशनल पेंशन स्कीम) और UPS (यूनिफाइड पेंशन स्कीम) के बीच अंतर को दर्शाने वाले दो कॉलम हैं:
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) | यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) |
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NPS में पेंशन बाजार के रिटर्न पर आधारित होती है, जो कम या ज्यादा हो सकती है। | UPS में कर्मचारियों को फिक्स पेंशन मिलती है। |
कर्मचारी सैलरी का 10% पेंशन के लिए जमा करते हैं, सरकार 14% का योगदान करती है। | कर्मचारी सैलरी का 10% पेंशन के लिए जमा करेंगे, सरकार 18.5% का योगदान करेगी। |
NPS में कोई सुनिश्चित पेंशन नहीं होती। | 25 साल की सेवा के बाद आखिरी सैलरी का कम से कम 50% पेंशन सुनिश्चित होता है। |
NPS में पेंशन की राशि महंगाई दर के अनुसार नहीं बढ़ती। | पेंशन महंगाई दर के हिसाब से बढ़ेगी। |
NPS में बाज़ार के उतार-चढ़ाव का असर होता है। | UPS में बाजार की निर्भरता कम है। |
NPS में 10 साल की सेवा के बाद कोई सुनिश्चित पेंशन नहीं मिलती। | 10 साल की सेवा के बाद 10,000 रुपये की सुनिश्चित पेंशन मिलेगी। |
NPS 2004 में शुरू की गई थी और 2009 में इसे प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोला गया। | UPS में सरकारी कर्मचारियों को 25 साल की सेवा के बाद फिक्स पेंशन के अलावा एकमुश्त राशि भी मिलेगी। |
ये कॉलम NPS और UPS के बीच के प्रमुख अंतर को संक्षेप में समझाते हैं।