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देश में पहली बार रेल पटरियों के बीच लगाया गया सोलर पैनल, बनारस बना ग्रीन एनर्जी की राह दिखाने वाला

देश में पहली बार वाराणसी के बनारस रेल इंजन कारखाने (बरेका) ने रेल पटरियों के बीच सोलर पैनल लगाए हैं। यह पायलट प्रॉजेक्ट भारतीय रेलवे को नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य तक पहुँचाने की अनूठी पहल है।

Mayank Yadav by Mayank Yadav
August 18, 2025
in Latest News, TOP NEWS, वाराणसी
BREC
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BREC Varanasi: वाराणसी का बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) देश में पहली बार रेल पटरियों के बीच सोलर पैनल लगाकर एक ऐतिहासिक पहल का हिस्सा बना है। इस पायलट प्रॉजेक्ट के तहत 15 किलोवॉट क्षमता का सोलर पैनल लगाया गया है, जो भारतीय रेलवे को ‘नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन’ के लक्ष्य की ओर बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा। विशेष रूप से डिजाइन किए गए इन पैनलों को इस तरह लगाया गया है कि न तो ट्रेन संचालन में कोई बाधा आएगी और न ही रखरखाव में कठिनाई होगी। यह प्रयोग न केवल वाराणसी बल्कि पूरे देश के रेलवे नेटवर्क को हरित ऊर्जा की दिशा में नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है।

बरेका की ऐतिहासिक पहल

वाराणसी स्थित बनारस रेल इंजन कारखाने (BREC) ने रेल पटरियों के बीच सौर पैनल स्थापित कर भारतीय रेलवे में एक नया अध्याय जोड़ा है। इस परियोजना के तहत लाइन संख्या 19 पर 70 मीटर लंबे ट्रैक पर कुल 28 सोलर पैनल लगाए गए हैं। इन पैनलों की क्षमता 15 किलोवॉट रखी गई है, जिससे स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन किया जाएगा।

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तकनीकी विशेषताएं और निर्माण पद्धति

इन सोलर पैनलों का आकार 2278×1133×30 मिमी और वजन लगभग 31.83 किलोग्राम है। पैनलों को कंक्रीट स्लीपरों पर मजबूती से चिपकाने के लिए रबर पैड और एपॉक्सी एडहेसिव का उपयोग किया गया है। यह डिजाइन स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है। जरूरत पड़ने पर इन पैनलों को आसानी से हटाया भी जा सकता है। इसके लिए 4 एस.एस. एलन बोल्ट की व्यवस्था की गई है।

ऊर्जा उत्पादन और संभावित लाभ

BREC के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने जानकारी दी कि इस परियोजना से प्रति किलोमीटर सालाना लगभग 3.21 लाख यूनिट सौर ऊर्जा पैदा की जा सकेगी। यह रेलवे के बिजली खर्च को कम करने के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में भी बड़ी कमी लाएगा। इस तरह की व्यवस्था यदि देशभर के ट्रैक पर अपनाई जाती है, तो भारतीय रेलवे ग्रीन एनर्जी की दिशा में वैश्विक उदाहरण बन सकता है।

हरित ऊर्जा की दिशा में बड़ा कदम

भारतीय रेलवे पहले से ही 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित कर चुका है। इस पायलट प्रॉजेक्ट को उस दिशा में अहम मील का पत्थर माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह मॉडल सफल साबित होता है तो देशभर में लाखों यूनिट सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता विकसित होगी। यह प्रयोग न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर कदम है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण पहल है।

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Tags: BREC
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