लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। बिहार चुनाव की डुगडगी बज चुकी है और जिसकी आवाज अब यूपी में भी सुनाई देने लगी है। यहां भी सियासी दंगल सजने लगे हैं। रणनीति और प्लान तैयार हो रहे हैं। जो रूठे थे, उन्हें मनाया जा रहा है। जेल के दरवाजे भी एक-एक कर खुलने लगे हैं। अखिलेश यादव भी अपने पीडीए के साथ सड़क पर उतर चुके हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ भी तीसरी बार सरकार बनाने को लेकर एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं तो वहीं करीब एक दशक के बाद एकबार फिर हाथी लखनऊ में दहाड़ा। नीले रंग का चोले की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई दी। बीएसपी चीफ भी गरजीं। खुलकर बोलीं। सपा प्रमुख पर जुबानी हमला बोला। कांग्रेस को भी नहीं छोड़ा। बात बीजेपी की आई तो मायावती खामोश रहीं। उन्होंने सीएम योगी और उनकी सरकार को एक तरफ से क्लीन चिट दे दिया। ऐसे में अब सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि ‘बहन जी को भाया भगवा’। 2027 में बीएसपी-बीजेपी के साथ होकर रहेगा गठबंधन। लोगों की इन बातों पर सूबे के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने अपने लहजे में मुहर लगा दी। उन्होंने कन्नौज से बड़ी बात की दी। जिससे के बाद सपाई खेमे में हलचल तेज हो गई है।
एकबार फिर मायावती गरजीं। लखनऊ के मैदान से बीएसपी चीफ दहाड़ीं। वह खुलकर बोलीं। चुन-चुन कर सपा-कांग्रेस पर जुबान से फायर किए। मायावती ने गठबंधन के अनुभवों को कार्यकर्ताओं के बीच साझा किए। बीएसपी सुप्रीमो ने डंके की चोट पर बता दिया कि वह 2027 के सियासी दंगल में किस दल और किसके साथ उतरेंगी। मायावती ने अपने समर्थकों के बीच खुलकर सीएम योगी आदित्यनाथ के पक्ष में कसीदे पढ़े । बीएसपी प्रमुख मायावती ने कांशीराम की 19वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देते हुए इस रैली में योगी आदित्यनाथ सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा, हम मौजूदा सरकार (योगी सरकार) के आभारी हैं, क्योंकि उन्होंने हमारे बनवाए स्मारक स्थलों के रखरखाव के लिए टिकट से मिली राशि का सही उपयोग किया। मायावती का कहना था कि बीजेपी सरकार ने पैसा दबाया नहीं, सपा जैसी नहीं है है यह पार्टी। बीएसपी चीफ ने सपा पर आरोप लगाया कि वे सत्ता में रहते पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक को भूल जाते हैं, लेकिन विपक्ष में आते ही याद आ जाता है। मायावती ने सीधे सपा प्रमुख पर जुबान से हमला किया। सपा पर गंभीर आरोप लगाए और ऐलान कर दिया कि वह 2027 में किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी।
अब बीएसपी चीफ के इस बयान की पूरे प्रदेश में चर्चा है। मायावती ने योगी सरकार की तारीफ करके विपक्ष को बोलने का मौका दे दिया। जाहिर है कि उनपर बीजेपी की बी टीम बनने का आरोप लगेगा। पर मायावती भी राजनीति की मझी हुईं खिलाड़ी हैं। राजनीतिक शतरंज की गोटियों को कब ,कहां किस तरह इस्तेमाल करना है वो भली भांति जानती हैं। आखिर यूं ही थोड़ी न उन्हें तीन बार यूपी का चीफ मिनिस्टर बनने का मौका मिला है। योगी की यह तारीफ यूं ही नहीं थी, बल्कि एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा लगती है। तो आइए इसके मायने समझते हैं। क्यों मायावती ने अखिलेश को घेरा और योगी को शुक्रिया कहा। महारैली में मायावती ने दलित समुदाय को एक स्पष्ट संदेश दिया कि अपने दोस्त और दुश्मन को पहचान कर लो। यह बयान केवल भावनात्मक अपील नहीं, बल्कि एक रणनीतिक चाल है, जिसका मकसद दलित वोटबैंक को एकजुट करना और समाजवादी पार्टी के बढ़ते प्रभाव को रोकना है।
मायावती ने कहा कि सपा ने सत्ता में रहते स्मारकों की उपेक्षा की और कासगंज जिले का नाम कांशीराम नगर से बदल दिया। यह बयान दलितों को यह समझाने की कोशिश था कि सपा उनकी अस्मिता का सम्मान नहीं करती, जबकि बीजेपी (योगी सरकार) ने कम से कम प्रतीकों का ध्यान रखा। जबकि सपा को मायावती ने दलित विरोधी और दोगला तक कहा। मायावती का यह संदेश 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले दलित वोटबैंक को सपा के पीडीए फॉर्मूले से बचाने की रणनीति है। 2022 में बसपा का वोट शेयर 12.9 फीसदी और 2024 लोकसभा में 6 फीसदी तक गिर गया। सपा का दलित-मुस्लिम गठजोड़ बसपा के लिए खतरा बन रहा है। मायावती ने दलितों को दुश्मन (सपा) और दोस्त (बीएसपी या बीजेपी) का अंतर समझाने की कोशिश की। योगी की तारीफ से वह बीजेपी को दलितों के लिए स्वीकार्य दिखा रही हैं, जिससे सपा का विपक्षी कद कमजोर हो।
मायावती ने सीबीआई केस को साजिश बताकर और राष्ट्रीय मुद्दों पर बोलकर दलित अस्मिता को मजबूत किया। उनका मकसद दलितों को यह विश्वास दिलाना है कि बसपा ही उनकी सच्ची हितैषी है। मायावती जानती हैं कि उनका कोर दलित वोटबैंक, खासकर जाटव और गैर-जाटव दलित, सपा के पीडीए फॉर्मूले की ओर खिसक रहा है। बीजेपी और बीएसपी का कोर वोटर भी एक नहीं हैं। जबकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी लगतार बीएसपी के कोर वोटर्स को तोड़ने में जुए हुए हैं। वहीं बीजेपी की ओर से मायावती के खिलाफ कभी प्रत्यक्ष हमलावर रुख न अपनाने ने भी उनकी इस समझ को मजबूत किया है। बीजेपी ने मायावती या बसपा के खिलाफ कभी तीखी बयानबाजी नहीं की, जैसा कि वह सपा या कांग्रेस के खिलाफ करती है। मायावती ने कभी भी पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयान नहीं दिए। सीएम योगी और उनकी सरकार पर कभी हमले नहीं किए।
मायावती के बयान के बाद डिप्टी सीएम बृजेश पाठक बोले। उन्होंने कहा मायावती की तारीफों के पुल बांधे। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने मायावती की तारीफ करते हुए कहा ‘बहन जी ने लगातार राज्य के विकास के लिए काम किया है। बहन जी जो बोलती हैं सही बोलती हैं। हम बहन जी का आभार प्रकट करते है। बहन जी कभी गलत का साथ नहीं देती। वह वोटबैंक की राजनीति नहीं करती। आप सब जानते हैं जब-जब समाजवादी पार्टी सरकार में रही है गुंडे, बदमाश, माफिया, लुच्छे, लफंगे बढ़े हैं.। उन्होंने आगे कहा, ‘मैं अपने लोगों से कहना चाहता हूं, सभी लोग एकजुटता के साथ कमल के साथ खड़े हो। भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश को विकास के क्षेत्र में देश में नंबर 1 बनाने जा रही है। डिप्टी सीएम ने कहा कि यूपी को सपा ने गुंडो-माफियाओं को जननी बना दिया था। जब से यूपी में योगी जी की सरकार आई है, तब से सपा के पाले गुंडे-माफियाओं के बुरे दिनों की शुरूआत हो गई है।
बता दें, लखनऊ के कांशीराम स्मारक स्थल पर आयोजित बहुजन समाज पार्टी की महारैली में मायावती ने दुनिया को दिखा दिया कि वह दलित राजनीति में आज भी एक अहम शक्ति हैं. इस रैली में 5 लाख से अधिक कार्यकर्ताओं की भीड़, मायावती का 3 घंटे तक मंच पर डटे रहना और योगी आदित्यनाथ की तारीफ के साथ समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखा हमला, उनकी प्रासंगिकता और रणनीतिक चातुर्य को दर्शाता है। यह रैली 2027 यूपी विधानसभा चुनाव से पहले दलित वोटबैंक को एकजुट करने और बसपा को दलित राजनीति का केंद्र बनाए रखने की कोशिश है। रैली में मायावती के भाई आनंद, भतीजे आकाश और सतीश चंद्रा मिश्रा की मौजूदगी ने संगठनात्मक एकता दिखाई। राष्ट्रीय मुद्दों (जैसे ट्रंप के टैरिफ) पर बोलकर उन्होंने अपनी राष्ट्रीय छवि को भी मजबूत किया। यह सब दर्शाता है कि मायावती दलित राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए आक्रामक और रणनीतिक ढंग से काम कर रही हैं। वह दलितों को यह संदेश दे रही हैं कि बसपा ही उनकी अस्मिता और हितों की रक्षक है।