Bihar Voting: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में रिकॉर्डतोड़ वोटिंग दर्ज हुई है—वोट प्रतिशत 64-65% के आसपास रहा, जो राज्य में अब तक का सबसे ऊँचा स्तर है। ऐतिहासिक रूप से देखें तो बिहार में जब बंपर वोटिंग होती है, उसका फायदा का फैसला सीधे-सीधे नहीं बताया जा सकता, लेकिन कुछ पैटर्न साफ नजर आते हैं।
ऐतिहासिक ट्रेंड और वोटिंग
- 2015, 2020 और अब 2025 के इलेक्शन में जितनी ज्यादा वोटिंग दर्ज हुई, वे या तो बदलाव या कड़े मुकाबले का संकेत बने हैं। 2015 में जब वोटिंग 56.8% रही, तब JDU-RJD गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया था।
- 2020 के चुनाव में 55.8% वोटिंग थी और एनडीए ने सत्ता पाई, लेकिन विपक्ष भी मजबूत रहा।
- 2025 में 64-65% वोटिंग रिकॉर्ड हुआ है, जिसमें ग्रामीण एवं महिलाओं की भागीदारी खासतौर पर बढ़ी है।
किसे मिलेगा फायदा?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बंपर वोटिंग आमतौर पर बदलाव की चाहत या एंटी-इंकम्बेंसी को दर्शाती है। जब अधिक वोटर, विशेषकर नए, युवा और महिला वोटर बढ़-चढ़कर मतदान करते हैं, तो सत्ता परिवर्तन की संभावना अधिक होती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा वोटिंग अक्सर उन दलों को फायदा देती है, जो ग्रामीण हितों को प्राथमिकता में रखते हैं। 2020 में विपक्ष ने जिन क्षेत्रों में मजबूती दिखाई थी, वहां अब भी वोटिंग उच्च रही है।
हालांकि, एनडीए ने भी प्रवासी और युवा वोटरों को आकर्षित करने के लिए विशेष अभियान चलाया, जिससे सत्ता पक्ष को भी लाभ मिल सकता है।
महिला मतदाताओं की ऊंची भागीदारी दोनों मुख्य गठबंधनों (NDA-महागठबंधन) के लिए निर्णायक हो सकती है, क्योंकि महिला वोटर बिहार की चुनावी राजनीति में गेम चेंजर साबित हुई हैं।
कांटे की होगी टक्कर
बंपर वोटिंग का सीधा अर्थ सत्ता परिवर्तन नहीं होता, लेकिन यह जनता के भीतर अपने राज्य के भविष्य के लिए निर्णय लेने की तीव्रता दिखाता है। 2025 का ऐतिहासिक मतदान सीधे उस क्षेत्र के मुद्दों, नेताओं की विश्वसनीयता और स्थानीय-राष्ट्रीय समीकरणों पर प्रभाव डालेगा। विपक्ष को अधिक संभावना है, लेकिन एनडीए ने सामाजिक योजनाओं और विकास पर फोकस रखकर अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखा है।
महिला मतदाता बनेगी जीत का फैक्टर
बिहार की ऐतिहासिक वोटिंग ने यह तो साबित कर दिया है कि जनता जागरूक है और बदलाव चाहती है। इससे फायदा किसे मिलेगा, यह परिणाम के बाद ही स्पष्ट होगा, पर फिलहाल बदलाव की हवा विपक्ष के लिए थोड़ी अनुकूल दिख रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों और महिला मतदाताओं को जिस दल ने बेहतर तरीके से साधा, वही असली विजेता होगा।
