BluSmart and Gensol Engineering Controversy,इन दिनों सोशल मीडिया पर ब्लूस्मार्ट कैब और जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड से जुड़ा एक बड़ा घोटाला खूब चर्चा में है। इस घोटाले में अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी पर गंभीर आरोप लगे हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या बिजनेस की दुनिया में आज भी ईमानदारी बची है या सब कुछ सिर्फ मुनाफे के पीछे भाग रहा है?
क्या है पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने खुलासा किया है कि अनमोल सिंह जग्गी ने जेनसोल कंपनी से करीब 25.76 करोड़ रुपये अपने पर्सनल खातों और कुछ जुड़ी हुई कंपनियों में ट्रांसफर कर दिए। इसमें से कुछ रकम अशनीर ग्रोवर की कंपनी थर्ड यूनिकॉर्न को भी भेजी गई थी। इतना ही नहीं, IREDA और PFC जैसी दो सरकारी फाइनेंस कंपनियों ने 2021 से 2024 के बीच जेनसोल को करीब 978 करोड़ रुपये का लोन दिया था। इसमें से 664 करोड़ रुपये सिर्फ 6,400 इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने के लिए दिए गए थे, जिन्हें बाद में ब्लूस्मार्ट को किराए पर देना था। लेकिन फरवरी 2025 तक कंपनी ने सिर्फ 4,704 गाड़ियां ही खरीदीं और बाकी पैसों का कोई साफ हिसाब नहीं दिया।
कंपनी के पैसे का गलत इस्तेमाल
सोशल मीडिया पर लोग इस मामले को लेकर काफी नाराज हैं। कई यूजर्स का कहना है कि ऐसे घोटाले देश की आर्थिक छवि को भी नुकसान पहुंचाते हैं। एक यूजर ने लिखा,
“जो नए फाउंडर्स अब निवेशकों से फंड मांगेंगे, उन्हें इस घोटाले की वजह से शक की निगाहों से देखा जाएगा।”
एक और यूजर ने सवाल किया
“Gensol की इस कहानी में स्वतंत्र निदेशक क्या कर रहे थे? उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?”
यह भी कहा जा रहा है कि कॉर्पोरेट इंडिया में नैतिकता और पारदर्शिता का स्तर तेजी से गिर रहा है, और इसका असर आने वाले बिजनेस लीडर्स पर भी पड़ेगा।
अब आगे क्या?
लोग यह भी पूछ रहे हैं कि जब पहले IL&FS जैसे घोटाले हो चुके हैं, तब भी IREDA और PFC जैसी सरकारी संस्थाओं ने सबक क्यों नहीं लिया?
“जटिल कंपनियों का जाल अब बंद होना चाहिए,” एक यूजर ने लिखा।
यह घटना सिर्फ दो लोगों या कंपनियों की नहीं है, यह एक बड़ी चेतावनी है कि अगर ईमानदारी और जवाबदेही को नजरअंदाज किया गया, तो आने वाले समय में भरोसे की नींव कमजोर हो जाएगी।