Gold Price Today : 3 मार्च 2025 को सोने के दाम में गिरावट आई है। यह हफ्ते के पहले दिन और लगातार चौथे दिन सोना सस्ता हुआ है। सोमवार को 24 कैरेट सोने का भाव 240 रुपये तक घटा, जबकि 22 कैरेट सोने का भाव 200 रुपये तक कम हुआ है। देश के प्रमुख शहरों में 24 कैरेट सोने का भाव करीब 86,600 रुपये और 22 कैरेट सोने का भाव करीब 79,300 रुपये पर कारोबार कर रहा है। वहीं, एक किलोग्राम चांदी का दाम 96,900 रुपये के स्तर पर है। चेक करें आज का सोने और चांदी का भाव।
सोने के दाम की पूरी जानकारी
24 कैरेट सोना
24 कैरेट सोना सबसे शुद्ध रूप में माना जाता है। इसे शुद्ध सोना कहा जाता है, क्योंकि इसकी शुद्धता 99.9 प्रतिशत होती है और इसमें किसी अन्य धातु का मिश्रण नहीं होता। आमतौर पर 24 कैरेट सोने का उपयोग सोने के सिक्के और बार बनाने में किया जाता है। सोने की अन्य शुद्धताएँ भी होती हैं, जिन्हें 24 कैरेट के मुकाबले मापा जाता है।
22 कैरेट सोना
22 कैरेट सोना (Gold Price Today) ज्वैलरी निर्माण के लिए अधिक उपयुक्त होता है। इसमें 22 हिस्से सोना और 2 हिस्से अन्य धातुएं जैसे चांदी, निकल या कोई अन्य मिश्रण होता है। इन धातुओं के मिलाने से सोना अधिक कठोर हो जाता है, जिससे यह ज्वैलरी के निर्माण में उपयोगी होता है। 22 कैरेट सोने की शुद्धता 91.67 प्रतिशत होती है।
सोने के दामों पर किसका पड़ता है प्रभाव ?
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डिमांड
सोने की कीमतों पर सबसे बड़ा प्रभाव डिमांड और सप्लाई का होता है। जब सप्लाई कम होती है और डिमांड अधिक होती है, तो सोने की कीमतें बढ़ जाती हैं। इसके विपरीत, जब सप्लाई अधिक होती है और डिमांड स्थिर या कमजोर होती है, तो कीमतें घट सकती हैं। भारत में सोने की मांग मुख्य रूप से त्यौहारों और शादी के सीजन में बढ़ जाती है। -
इन्फ्लेशन
जब मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो मुद्रा की कीमत(Gold Price Today) घट जाती है, जिससे लोग अपने धन को सुरक्षित रखने के लिए सोने में निवेश करना पसंद करते हैं। इससे सोने की कीमतों में वृद्धि होती है, क्योंकि सोना मुद्रास्फीति से बचाव का एक साधन माना जाता है। -
इंटरेस्ट रेट्स
सोने और ब्याज दरों के बीच एक विपरीत संबंध होता है। जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो लोग अधिक ब्याज अर्जित करने के लिए सोने को बेच सकते हैं, जिससे सोने की मांग कम हो जाती है और कीमतें घटती हैं। वहीं, जब ब्याज दरें घटती हैं, तो लोग सोने में निवेश करते हैं, जिससे कीमतों में वृद्धि हो सकती है। -
मॉनसून
भारत में सोने की मांग का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों से आता है। अच्छी मॉनसून बारिश और फसल की भरपूर पैदावार के बाद, ग्रामीण इलाकों में सोने की मांग में वृद्धि होती है। -
सरकारी रिजर्व
कई देशों के पास वित्तीय रिजर्व होते हैं, जिनमें सोने की एक बड़ी मात्रा होती है। भारत में भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास सोने का भंडार होता है। अगर यह भंडार बढ़ता है या सरकार द्वारा सोने की बिक्री घटती है, तो सोने की आपूर्ति कम होती है, जिससे कीमतें बढ़ जाती हैं। -
करेंसी में उतार-चढ़ाव
सोने का व्यापार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डॉलर में होता है। जब भारतीय रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले घटती है, तो सोने का आयात महंगा हो जाता है, जिससे भारत में सोने की कीमतें बढ़ जाती हैं। -
अन्य एसेट्स के साथ संबंध
सोने का अन्य प्रमुख वित्तीय संपत्तियों से या तो कम या नकारात्मक संबंध होता है, इस कारण इसे पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए एक अच्छा विकल्प माना जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोना पोर्टफोलियो को बाजार की अस्थिरता से सुरक्षा प्रदान करता है, क्योंकि अन्य एसेट्स से प्रभावित होने के बजाय सोने की कीमतें स्वतंत्र रूप से प्रभावित होती हैं।
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भू-राजनीतिक कारण
युद्ध और अन्य भू-राजनीतिक अस्थिरताओं के कारण सोने की मांग बढ़ जाती है, क्योंकि इसे सुरक्षित निवेश माना जाता है। इस दौरान अन्य वित्तीय संपत्तियों की कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जबकि सोने की कीमतें आमतौर पर बढ़ती हैं। -
ऑक्ट्रॉय चार्ज और एंट्री टैक्स
राज्यों में जब सोने के सामान का आयात होता है, तो ऑक्ट्रॉय चार्ज और एंट्री टैक्स लगाया जाता है। ऑक्ट्रॉय शुल्क उस शहर में सोने के प्रवेश पर लगता है, जबकि एंट्री टैक्स राज्य के भीतर लागू होता है। इसके अलावा, अगर सोने की कीमत 30 लाख रुपये से अधिक होती है, तो उस पर वेल्थ टैक्स भी लगाया जाता है। -
मेकिंग चार्ज
सोने की ज्वैलरी पर मेकिंग चार्ज लागू होता है, जो ज्वैलरी के डिजाइन और स्थान के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। यह शुल्क ज्वैलरी की कारीगरी और गुणवत्ता को दर्शाता है।