GST Council: जीएसटी काउंसिल ने फैसला लिया है कि अब फूड डिलीवरी ऐप्स की डिलीवरी फीस पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाएगा। पहले डिलीवरी शुल्क पर कोई टैक्स नहीं लगता था। इस कदम से जोमैटो और स्विगी जैसी कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ सकता है।
कंपनियां बोझ ग्राहकों पर डालेंगी?
खबर है कि जोमैटो और स्विगी दोनों ही कंपनियां इस टैक्स का बोझ अपने ग्राहकों पर डाल सकती हैं। यानी अगर यह लागू हुआ, तो ऑनलाइन फूड ऑर्डर करना पहले से महंगा हो जाएगा। कंपनियों के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुनाफे में कमी की भरपाई के लिए ग्राहक से अतिरिक्त राशि वसूली जा सकती है।
कंपनियों की तैयारी
जीएसटी की नई दरों को लेकर फिलहाल कंपनियां सरकार की अधिसूचना का बारीकी से अध्ययन कर रही हैं। वे यह देखना चाहती हैं कि इसका असर उनके मार्जिन, प्राइसिंग और कामकाज पर कितना पड़ेगा। वहीं, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि डिलीवरी इन कंपनियों की मुख्य सेवा है, इसलिए टैक्स का सीधा असर उन पर पड़ेगा। इसके मुकाबले ई-कॉमर्स या क्विक कॉमर्स में डिलीवरी को केवल सहायक सेवा माना जाता है।
सब्सक्रिप्शन प्लान पर असर नहीं
जोमैटो गोल्ड और स्विगी वन जैसे सब्सक्रिप्शन प्लान लेने वाले ग्राहकों पर इस फैसले का सीधा असर नहीं पड़ेगा। इन्हें वैल्यू एडेड सर्विस माना जाता है, इसलिए इन पर टैक्स का असर सीमित रहेगा।
जीएसटी काउंसिल का निर्णय
काउंसिल की 56वीं बैठक में यह साफ कर दिया गया कि अब फूड डिलीवरी ऐप्स, सीजीएसटी एक्ट की धारा 9(5) के तहत अपनी डिलीवरी सेवाओं पर जीएसटी जमा करने के लिए जिम्मेदार होंगे। छोटे डिलीवरी एजेंट्स को अभी भी जीएसटी अनुपालन के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
क्या ग्राहकों पर पड़ेगा सीधा असर
एक फूड डिलीवरी कंपनी के अधिकारी ने कहा कि फिलहाल हम सरकार की और स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन अगर टैक्स का बोझ ज्यादा हुआ, तो इसका असर सीधे ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा। अलग-अलग कैटेगरी के ऑर्डर्स में इसका असर अलग-अलग दिखाई देगा।