खत्म होगी लोन लेने की टेंशन! RBI के ऐलान से घटेंगी ब्याज दरें, EMI भी होगी हल्की

फरवरी में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी), जिसकी अध्यक्षता गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​​​ने की, ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करते हुए इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया। यह मई 2020 के बाद पहली बार था जब रेपो दर में कमी की गई और लगभग ढाई वर्षों में यह पहला संशोधन रहा।

RBI Monetary Policy 2024

RBI Monetary Policy 2024 : भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) इस सप्ताह अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत तक की कटौती कर सकता है। महंगाई में नरमी आने के बाद अब केंद्रीय बैंक के पास ब्याज दरों को घटाने का अच्छा अवसर है। वहीं, अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए सीमा शुल्क से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है, जिस कारण भारत को घरेलू स्तर पर आर्थिक विकास को रफ्तार देने की ज़रूरत महसूस हो रही है।

फरवरी में हुआ था पहला बदलाव

गवर्नर संजय मल्होत्रा की अगुवाई में फरवरी में हुई पिछली एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) बैठक में रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया गया था। यह मई 2020 के बाद पहली बार हुआ था जब रेपो रेट में कटौती की गई थी। अब एमपीसी की 54वीं बैठक 7 अप्रैल से शुरू होगी, और इसके नतीजों की घोषणा 9 अप्रैल को की जाएगी।

एमपीसी में कुल छह सदस्य होते हैं — आरबीआई गवर्नर, दो अन्य वरिष्ठ अधिकारी और तीन सदस्य सरकार द्वारा नामित किए जाते हैं। फरवरी 2023 के बाद से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। कोविड काल में मई 2020 में आखिरी बार इसमें कटौती हुई थी, जिसके बाद इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत तक लाया गया।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का मानना है कि दुनिया भर में हो रहे बदलावों के बीच यह नीति लाई जा रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के टैरिफ लगाने से भारतीय मुद्रा और आर्थिक विकास पर असर पड़ सकता है। ऐसे में एमपीसी को व्यापक दृष्टिकोण से स्थिति का मूल्यांकन करना होगा।

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उनके अनुसार, मुद्रास्फीति में नरमी और स्थिर तरलता को देखते हुए इस बार रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती संभावित है। इसके साथ-साथ यह भी उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई आने वाले समय में दरों में और नरमी दिखा सकता है।

अमेरिका के फैसले से बढ़ीं चुनौतियां

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, चीन समेत 60 देशों पर 11 से 49 प्रतिशत तक का सीमा शुल्क लगाने का ऐलान किया है, जो 9 अप्रैल से लागू होगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे भारत के लिए चुनौतियों के साथ-साथ निर्यात के अवसर भी बढ़ सकते हैं, क्योंकि कई प्रतिस्पर्धी देशों को अब ऊंचे शुल्क का सामना करना पड़ेगा।

खुदरा महंगाई में राहत, बढ़ सकती है मांग

फरवरी में खुदरा महंगाई गिरकर 3.61 प्रतिशत पर आ गई थी, जो सात महीनों का सबसे निचला स्तर है। इसके पीछे सब्जियों, अंडों और अन्य प्रोटीन युक्त चीजों की कीमतों में आई गिरावट मुख्य कारण है। सिग्नेचर ग्लोबल के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि रेपो दर में कटौती से लोगों को सस्ते ब्याज पर कर्ज मिलेगा, जिससे घर खरीदने जैसे बड़े फैसले लेने में आसानी होगी और रियल एस्टेट सेक्टर में मांग बढ़ेगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसका असली असर इस बात पर निर्भर करेगा कि वाणिज्यिक बैंक इस कटौती को ग्राहकों तक कितनी जल्दी और कितनी कुशलता से पहुंचाते हैं।

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