भारत में 20% से नीचे पहुंचा टैरिफ, चीन को लगा बड़ा झटका, अगस्त से पहले होगी सौदेबाजी!

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह ट्रेड डील दोनों देशों की सहमति के बाद पूरा होने के कगार पर है. यह डील आगे एक बड़े व्‍यापार के लिए बातचीत जारी रखने की गुंजाइश रखेगा और साथ ही शुरुआती टैरिफ को 20% से नीचे रख सकता है.

India vs US Tariff

India vs US Tariff : भारत और अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड डील को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया तेज हो गई है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका भारत पर 20 फीसदी से भी कम टैरिफ लगा सकता है, जो भारत के लिए बड़ी राहत साबित होगी। खास बात यह है कि पड़ोसी देशों चीन और बांग्लादेश पर अमेरिका 50 फीसदी तक टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, यह समझौता दोनों देशों की सहमति के बाद जल्द ही फाइनल किया जा सकता है। इस डील से व्यापार विस्तार की नई संभावनाएं खुलेंगी और प्रारंभिक टैरिफ 20% से नीचे रखा जा सकता है, जबकि अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को भारत पर 26% टैरिफ लगाने का संकेत दिया था।

चीन को लगेगा बड़ा झटका 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस डील से चीन को बड़ा झटका लग सकता है। ट्रंप प्रशासन ने अब तक केवल वियतनाम और ब्रिटेन के साथ समझौतों की घोषणा की है और बाकी देशों को 15 से 20 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना होगा। वियतनाम इस टैरिफ से परेशान है और इसे कम करने के लिए दबाव बना रहा है। इसके अलावा, चीन के सामानों पर भी वियतनाम के माध्यम से टैरिफ बढ़ाने की योजना है। अगर भारत-अमेरिका डील फाइनल हो जाती है तो चीन को और अधिक टैरिफ झेलना पड़ सकता है।

भारत को मिलेगी विशेष छूट

भारत को इस डील से व्यापार में विशेष छूट मिलेगी और यह उन देशों के छोटे समूह में शामिल हो जाएगा जिन्हें वाशिंगटन से व्यापारिक राहत मिल रही है। इस समय एशिया के लिए वियतनाम और फिलीपींस पर 20% से लेकर लाओस और म्यांमार पर 40% तक टैरिफ लागू है। भारत ने वियतनाम से बेहतर शर्तों की मांग की है और जल्द ही भारतीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन में आगे की बातचीत करेगा। भारत ने अपनी अंतिम पेशकश में साफ किया है कि वह कृषि क्षेत्र को व्यापार के लिए खोलने के प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगा, क्योंकि इसे किसानों के लिए जोखिम भरा माना गया है।

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हालांकि कृषि और फार्मा क्षेत्र में गैर-टैरिफ बाधाओं को लेकर कुछ मुद्दे अभी भी शेष हैं, पर दोनों पक्षों ने इन्हें सुलझाने के लिए अंतरिम व्यवस्था की सहमति दी है। संभावना है कि यह डील 1 अगस्त से पहले फाइनल हो सकती है। इस खबर पर भारतीय वाणिज्य मंत्रालय, व्हाइट हाउस और अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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