Waqf Bill 2025 : लोकसभा में बुधवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पेश किया गया, जिसमें वक्फ बोर्ड के प्रबंधन और पारदर्शिता को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। सरकार इस विधेयक को लेकर गंभीर है और बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को समर्थन में वोट देने का निर्देश दिया है। वहीं, विपक्ष इस विधेयक के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए है। इस बीच, वक्फ बोर्ड के सीईओ की भूमिका और जिम्मेदारियों को लेकर बहस तेज हो गई है। आइए जानते हैं कि वक्फ बोर्ड के सीईओ कौन होते हैं, उनकी जिम्मेदारियां क्या हैं और उन्हें कितनी सैलरी मिलती है।
वक्फ बोर्ड के सीईओ कौन होते हैं?
वक्फ बोर्ड के सीईओ एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी होते हैं, जो राज्य वक्फ बोर्ड के संचालन और प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालते हैं। वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत राज्य सरकार वक्फ बोर्ड के सीईओ की नियुक्ति करती है। इस पद पर आमतौर पर IAS, RAS, PCS या अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं।
सीईओ की मुख्य जिम्मेदारियां
वक्फ बोर्ड के सीईओ का प्रमुख कार्य राज्य में वक्फ संपत्तियों की देखरेख और सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है। वे कानूनी मामलों की निगरानी करते हैं और यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो आवश्यक कार्रवाई करते हैं। इसके अलावा, वे बोर्ड के कर्मचारियों की नियुक्ति और उनके कार्यों की समीक्षा भी करते हैं।
वक्फ बोर्ड के सीईओ को कितनी सैलरी मिलती है?
जानकारी के मुताबिक, वक्फ बोर्ड के सीईओ पद पर आमतौर पर IAS या PCS अधिकारी अतिरिक्त जिम्मेदारी के रूप में नियुक्त किए जाते हैं। इसलिए उन्हें इस पद के लिए अलग से सैलरी नहीं दी जाती, बल्कि वे अपने मौजूदा वेतन पर ही कार्य करते हैं।
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वक्फ विधेयक 2025 में किए गए बदलाव
इस विधेयक में वक्फ बोर्ड के प्रशासन को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं।
- गैर-मुस्लिम सदस्य: अब राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जाएगा।
- महिला प्रतिनिधित्व: वक्फ बोर्ड में अब दो मुस्लिम महिलाओं की नियुक्ति अनिवार्य होगी।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना है।
विपक्ष ने क्यों कर रहा विरोध?
इस विधेयक को लेकर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सरकार वक्फ बोर्ड के मामलों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल कर इसकी मूल संरचना को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। विपक्ष का यह भी तर्क है कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर अधिक नियंत्रण हासिल करना चाहती है।