Kanpur News:कैंसर से जूझ रहे परिवार की दर्दनाक कहानी, पीड़ित पिता ने बच्चों संग की आत्महत्या पूरा गांव स्तब्ध

कानपुर के लांबा गांव में कैंसर से जूझ रहे एक पिता ने गहरी चिंता और अवसाद में अपने दो मासूम बच्चों को जहर देकर खुद भी जान दे दी। यह घटना पूरे गांव को हिला गई।

Cancer Patient Father Ends Life with Children: यह हृदयविदारक घटना कानपुर के कल्याणपुर थाना क्षेत्र के लांबा गांव में सोमवार शाम को हुई। पुलिस के मुताबिक मृतक का नाम मेरामन छेत्रिया था, जो पिछले पांच साल से कैंसर से पीड़ित था। लगातार बिगड़ती हालत और इलाज के बढ़ते खर्चों ने उसे मानसिक रूप से तोड़ दिया था।

थाना प्रभारी टी.सी. पटेल ने बताया कि मेरामन कई बार अपने परिवार और गांव वालों से कह चुका था कि उसे अपनी मौत करीब लग रही है। उसे इस बात की गहरी चिंता सताती थी कि उसके जाने के बाद उसके छोटे बच्चों की देखभाल कौन करेगा।

बच्चों को जहर देकर खुद की भी ली जान

सोमवार की शाम मेरामन ने ऐसा कदम उठा लिया जिसने पूरे गांव को सन्न कर दिया। पुलिस के अनुसार, उसने पहले अपनी पांच साल की बेटी और तीन साल के बेटे को कोई जहरीला पदार्थ पिलाया। कुछ देर बाद उसने खुद भी वही जहर खा लिया।

जब परिवार के लोग कमरे में पहुंचे, तो तीनों बेसुध पड़े थे। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया। यह दृश्य देख परिवार और गांव के लोग फूट-फूटकर रोने लगे।

बीमारी, गरीबी और चिंता ने तोड़ा हौसला

पुलिस जांच में सामने आया है कि मेरामन लंबे समय से गंभीर बीमारी और आर्थिक तंगी से परेशान था। लगातार इलाज के खर्च और बच्चों के भविष्य की चिंता ने उसे गहरे अवसाद में धकेल दिया था।

करीबी लोगों के मुताबिक, वह अक्सर कहा करता था।“अब जिंदगी बस कुछ ही दिन की रह गई है, बच्चों का क्या होगा?” धीरे-धीरे उसकी मानसिक स्थिति इतनी बिगड़ गई कि उसने मौत को ही एकमात्र रास्ता समझ लिया।

पुलिस ने दर्ज किया मामला, जांच जारी

घटना की खबर मिलते ही कल्याणपुर पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। थाना प्रभारी टी.सी. पटेल ने बताया कि यह मामला साफ तौर पर आत्महत्या और हत्या दोनों का है।

पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि परिवार की आर्थिक स्थिति और मेडिकल रिकॉर्ड की भी जांच की जा रही है ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सके।

गांव में पसरा मातम, हर कोई स्तब्ध

लांबा गांव में इस घटना के बाद मातम का माहौल है। पड़ोसी और रिश्तेदार यकीन नहीं कर पा रहे कि हमेशा शांत रहने वाला मेरामन इतना बड़ा कदम उठा सकता है। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि गरीबी और बीमारी ने उसे जीते-जी मार दिया था।

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