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कहानी उस डकैत की, जिसकी फैमिली से बने IG और DSP, पुलिस ने खड़े किए हाथ तब ‘रॉबिनहुड’ का सेना ने किया एनकाउंटर

Story of Dacoit Man Singh: चंबल के दस्यू सम्राट मान सिंह की ग्रामीण करते हैं पूजा-अर्चना, चार राज्यों की पुलिस के हाथ रहे खाली, तब सेना को दी गई थी जिम्मेदारी।

Vinod by Vinod
December 15, 2024
in Latest News, TOP NEWS, उत्तर प्रदेश, क्राइम
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लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। माथे पर काला टीका, सिर पर लाल पट्टी, हाथ में बंदूक और बदन पर बागी वर्दी। जब एक किसान के बेटे ने हाथों पर बंदूक थामी तो 6 लाख एकड़ में फैले इलाका का वह रॉबिनहुड बन गया। बीहड़ पट्टी से लेकर पूरे चंबल के चप्पे-चप्पे तक उसके नाम मात्र से ही अच्छे-अच्छों की हवा ढीली हो जाती। आमजनों से लेकर लालाजनों तक सब उससे खौफजदा तो थे ही, पुलिसिया महकमे के लिए भी वो ऐसा सिरदर्द बनी कि मोस्ट वॉन्टेड की फेहरिस्त में शामिल होते उसे ज्यादा दिन नहीं लगे। चंबल के उस डकैत का नाम मान सिंह था, जिसे लोग रॉबिनहुड के नाम से पुकारते थे। खौफ इतना कि चार राज्यों की पुलिस ने हाथ खड़े कर दिए। आखिर में सेना को लगाया पड़ा और तब कहीं जाकर मान सिंह एनकाउंटर में मारा गया।

परिवार के साथ खड़ा किया गैंग

चंबल-बीहड़ के इतिहास के पन्नों में अनेक डकैतों के नाम दर्ज हैं। इन्हीं में से डाकू मान सिंह भी हैं। मान सिंह के पिता किसान थे। गांव के जमीदारों ने उनके खेतों पर कब्जा कर लिया। पिता ने विरोध किया तो उनकी हत्या करवा दी। 17 डाकुओं के साथ मिलकर उन्होंने एक दल बनाया, जिसमें अधिकतर उनके भाई और भतीजे शामिल थे। जिनकी गैंग में 400 सदस्य थे। उस वक्त डकैतों के पास पुलिस से अच्छे असलहे थे। 1939 से 1955 तक मान सिंह की तक चंबल में मान सिंह की तूती बोलती थी। मान सिंह जहां खूंखार डाकू थे तो वहीं उसके दिल के अंदर इंसानियत भी थी। गैंग ने कभी भी किसी गरीब को नहीं सताया। महिलाओं के लिए मसीहा बना तो गांव के युवकों का पालनहार।

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तब डकैत सुल्ताना को गैंग से निकाला

डकैत मान सिंह की मौत के बाद उनके मंदिर का ग्रामीणों ने निर्माण करवाया। मंदिर में मान सिंह के साथ ही उनकी मूर्ति विराजमान हैं। आज भी डकैत की पूजा गांव में भगवान की तरह होती है। महिलाओं की इज्जत करना तो उनके दल का सबसे पहला कर्तव्य था। वे उनपर आंच नहीं आने देते थे। तभी तो सिर्फ बलात्कार का आरोप लगते ही उन्होंने गैंग के एक महत्वपूर्ण सदस्य सुल्ताना को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। मान सिंह के खिलाफ लूट की 1112 तथा हत्या के 185 मामले पुलिस में दर्ज थे। मान सिंह के व्यक्तित्व का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एकबार एस एन सुब्बाराव ने उन्हें मंच से भाषण देते हुए सुना था। उनके शब्दों के चयन और भाषण देने की शैली को देख वे अचंभित रह गए थे।

मान सिंह पर बनी फिल्म

तभी सुब्बराव के मन ख्याल बदल गया। राव ने कहा कि मान सिंह के बारे में उन्होंने जो कुछ भी अखबार में पढ़ा था, वे मंच पर उसके विपरीत लग रहे थे। उनकी पर्सनैलिटी रॉबिन हुड की तरह लग रही थी। वे गरीबों के मसीहा लग रहे थे। यही कारण है कि उनके जीवन के ऊपर 1971 में डाकू मान सिंह नाम की फिल्म भी बनी, जिसमें दारा सिंह ने मुख्य भूमिका निभाई। उनका जीवन लोगों को इतना प्रभावित करता है कि उसपर आधारित कई लोकगीत तथा नौटंकियां भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि वे अपने लिए तो कुछ रखते ही नहीं थे, जो कुछ भी लूटते, दूसरे लोगों में बांट देते थे।

चिठ्ठी फिरौती की शुरू की थी परंपरा

डाकू मान सिंह ने ही चिट्ठी भेजकर फिरौती मांगने की परंपरा शुरू की थी। उस समय दो से चार हजार रुपये की फिरौती ली जाती थी। जिसके बाद बीहड़, चंबल और पाठा के डकैतों की कमाई का यही अहम औजार बना। मान सिंह ने सबसे ज्यादा अपहरण की घटनाओं को अंजाम दिया। एक वक्त उन्होंने भिंड से राजा के बेटे का अपहरण दिनदहाड़े कर लिया था। तब पत्र के जरिए उन्हें पांच हजार की फिरौती वसूली गई थी। ग्रामीण बताते हैं कि मान सिंह ने जानकारी मिली थी कि राजा किसानों को पैसा देकर उनकी जमीन पर कब्जा किए हुए थे। इसी के कारण उन्होंने उसके बेटे का अपहरण करवाया। पैसा लिए। किसानों को दिए और खेतों को मुक्त करवाया।

परिवार के युवा बने आईजी, डीएसपी

डकैत की फैमिली से आईजी, डीएसबी बनकर युवा निकले और देश की सेवा की। डाकू से नेता बने मान सिंह के पुत्र तहसीलदार सिंह ने मुलायम सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। तहसीलदार का पुत्र शेर सिंह मप्र पुलिस में डीएसपी के पद से रिटायर्ड हैं। मानसिंह के भाई नवाब सिंह के पुत्र रनवीर सिंह पुलिस महानिरीक्षक के पद से रिटायर होने के बाद लखनऊ में रहते हैं। रनवीर सिंह का बेटा भावेश सिंह एक बार चुनाव भी लड़ चुका है। डकैत मान सिंह के बारे में लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बरस बीहड में गुजारे। गैंग बड़े लोगों के घर पर डाका डालता। रईसों का अपहरण का फिरौती वसूलता था।

इस मेजर ने किया था मान सिंह का एनकाउंटर

1955 में डाकू मान सिंह का दल भिंड जिले के लावन गांव में डेरा डाले थे। रात में पूरे दल को दूध के साथ मिलाकर मुखबिर ने नशीला पदार्थ दे दिया। सभी डाकू अर्ध बेहोशी की हालत में हो गए। इसी दौरान पुलिस आ गई। गोलियां चलीं और डाकू दल का सफाया हो गया। जिन्होंने दूध नहीं पिया, वे बच निकले थे। पुलिस रेकॉर्ड के अनुसार 1955 में मध्यप्रदेश के भिंड में मेजर बब्बर सिंह थापा ने डाकू मान सिंह का एनकाउंटर किया था। ग्रामीण बताते हैं कि मान सिंह को चार राज्यों की पुलिस पकड़ नहीं पाई। ऐसे में सेना को लगाया गया। सेना के अफसर ने उन्हें धोखे से मारा।

Tags: Dacoit Maan SinghMan Singh's templewho was Dacoit Maan Singh
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