Chardham Yatra : उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा के कपाट बंद होने के बाद भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आस्था की राह को जारी रखने की तैयारी शुरू कर दी है। अब शीतकालीन यात्रा के माध्यम से प्रदेश में पर्यटन को नया जीवन देने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत चारों धामों के शीतकाल प्रवास स्थलों से यात्रा का संचालन किया जाएगा, ताकि भक्त पूरे साल देवभूमि के दर्शन का आनंद ले सकें।
दिवाली के बाद चारों धामों के कपाट क्रमवार बंद होंगे — केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट नवंबर के मध्य में बंद होंगे, जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद, बाबा केदार की पूजा ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में की जाएगी। इसी तरह, बद्रीनाथ धाम की आराधना योग बद्री, पांडुकेश्वर, ज्योतिर्मठ और नरसिंह मंदिर में की जाएगी। यमुनोत्री धाम की पूजा खरसाली गांव में और गंगोत्री धाम की पूजा मुखवा में संपन्न होगी।
शीतकालीन यात्रा से फिर जगेगा पर्यटन
राज्य सरकार का मानना है कि शीतकालीन यात्रा न केवल धार्मिक आस्था को निरंतर बनाए रखेगी, बल्कि प्रदेश की पर्यटन अर्थव्यवस्था को भी गति देगी। पिछले वर्ष (2024–25) शीतकालीन यात्रा के दौरान लगभग 70 हजार से अधिक श्रद्धालु चारधाम के प्रवास स्थलों पर पहुंचे थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ओंकारेश्वर मंदिर से यात्रा का शुभारंभ किया था, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुखवा गांव जाकर शीतकालीन यात्रा का संदेश पूरे देश में फैलाया था।
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पूरे साल यात्रा को सक्रिय रखने की दिशा में कदम
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार, इस बार सरकार शीतकालीन यात्रा को और आकर्षक बनाने पर काम कर रही है। प्रवास स्थलों पर श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन और अन्य सुविधाओं को बेहतर बनाया जा रहा है ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि चारधाम यात्रा केवल छह महीने की न रहे, बल्कि पूरे साल जारी रहे।” महाराज ने यह भी बताया कि सरकार चारधाम से जुड़े स्थलों को स्थायी तीर्थ और पर्यटन केंद्रों के रूप में विकसित करना चाहती है। शीतकालीन यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय रोजगार और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएगी।