Chhath Puja 2025: बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में छठ महापर्व की भव्यता अपने चरम पर रही। सोमवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मंगलवार तड़के श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया। गंगा, कोसी, गंडक और सोन नदियों के किनारे लाखों श्रद्धालु एकत्र हुए, जहां “जय छठी मईया” और “सूर्य देव की जय” के नारे गूंजते रहे। वातावरण में मंत्रोच्चार और लोकगीतों की मधुर ध्वनि से एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा फैल गई।
पटना के घाटों पर अनोखा नज़ारा
राजधानी पटना में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। कदम घाट, कृष्णा घाट, दीघा घाट, काली घाट और घाट नंबर 94 पर श्रद्धालुओं की भीड़ ने सुबह-सुबह गंगा तट को स्वर्ग जैसा बना दिया। महिलाएं पारंपरिक साड़ी पहनकर, सिर पर दउरा रखकर जल में खड़ी थीं और सूर्य देव को अर्घ्य दे रही थीं। वहीं बच्चे और पुरुष दीप प्रज्ज्वलित कर घाटों की सफाई और सजावट में जुटे थे।
नगर निगम और जिला प्रशासन की ओर से प्रकाश, पेयजल, मोबाइल शौचालय, एनडीआरएफ टीम, गोताखोर और ड्रोन कैमरे की व्यवस्था की गई थी ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना से बचा जा सके।
निर्जला व्रत और आस्था की परीक्षा
छठ व्रत को देश का सबसे कठिन व्रत माना जाता है। व्रती महिलाएं 36 घंटे तक बिना पानी पिए निर्जला उपवास रखती हैं और केवल सूर्यदेव तथा छठी मईया की पूजा करती हैं।
इस दौरान ठेकुआ, केला, नारियल, गन्ना, और सूजी के पूड़ी-हलवा प्रसाद के रूप में तैयार किया गया।
प्रातःकालीन अर्घ्य के साथ ही यह कठिन तप पूरा हुआ, जिसके बाद व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण कर परिवारजनों के साथ पर्व का समापन किया।
दुर्घटनाओं ने तोड़ा उल्लास का माहौल
जहां एक ओर श्रद्धा का समंदर उमड़ पड़ा, वहीं कई जगहों से हादसों की खबरें भी आईं।
मधुबनी जिले में तालाब में फिसलने से दो किशोरों की मौत हो गई।
खगड़िया में तीन बच्चे डूब गए, जिनकी तलाश अब भी जारी है।
लखीसराय जिले के गंगा तट पर 17 वर्षीय फूलन कुमार की डूबने से मौत हो गई।
इन घटनाओं ने पर्व के उल्लास को कुछ देर के लिए शांत कर दिया। प्रशासन ने सभी जिलों में अतिरिक्त पुलिस बल और राहत टीम तैनात की है।
काशी, झारखंड और दिल्ली में भी छठ का जलवा
वाराणसी (काशी) के दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट पर भी हजारों लोगों ने गंगा में खड़े होकर अर्घ्य दिया। बारिश के बावजूद आस्था में कमी नहीं दिखी। घाटों को फूलों और दीपों से सजाया गया था। रांची, धनबाद, जमशेदपुर में भी व्रतधारियों ने तालाबों और कृत्रिम घाटों पर सूर्यदेव की आराधना की। दिल्ली और एनसीआर में यमुना तट पर छठ का आयोजन हुआ। नोएडा और गाजियाबाद के कृत्रिम घाटों पर भोजपुरी गीतों की धुन पर लोग थिरकते नजर आए।
राजनीति भी रंगी आस्था में
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में गंगा किनारे छठी मईया को अर्घ्य दिया और कहा कि यह पर्व बिहार की पहचान है।
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा, “छठ सिर्फ पूजा नहीं, यह हमारी संस्कृति का गौरव है।” वहीं, तेजस्वी यादव ने रेलवे की तैयारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि “हर बार बिहार के लोगों को घर लौटने में दिक्कत होती है, इसे सुधारना जरूरी है।”
महिलाओं की शक्ति और परंपरा की मिसाल
छठ पूजा में महिलाओं की भूमिका सबसे अहम होती है। वे परिवार के कल्याण, सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु के लिए तपस्या करती हैं।
बिहार के छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक महिलाओं की एकता और श्रद्धा ने इस पर्व को फिर से साबित किया कि आस्था से बड़ी कोई शक्ति नहीं।
भक्ति, प्रकृति और पर्यावरण का उत्सव
छठ पूजा न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ाव का पर्व भी है।
इस दौरान लोग नदियों की सफाई करते हैं, पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संकल्प लेते हैं। मिट्टी के दिये, बांस के टोकरे और स्थानीय फल-सब्जियों का प्रयोग करके यह पर्व पर्यावरण-संवेदनशील परंपरा का भी संदेश देता है।
सांस्कृतिक और भावनात्मक एकता का प्रतीक
छठ पूजा आज बिहार की सीमाओं से निकलकर पूरी दुनिया में मनाई जा रही है। दुबई, लंदन, न्यूयॉर्क और मेलबर्न जैसे शहरों में बसे भारतीय समुदाय ने भी नदी किनारे और कृत्रिम तालाबों में सूर्यदेव को अर्घ्य दिया।
यह पर्व न केवल धार्मिक है बल्कि सांस्कृतिक एकता और भारतीय पहचान का प्रतीक बन चुका है।



