36-Lane Traffic Jam in China:चीन के एक बड़े टोल प्लाजा पर उस दिन अफरा-तफरी मच गई, जब अनुमान से कहीं ज्यादा गाड़ियां एक साथ पहुंच गईं। अधिकारियों ने पहले से उम्मीद जताई थी कि लगभग 1.2 लाख वाहन इस टोल से गुजरेंगे और हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही। लोगों की भारी भीड़ और वाहनों की लंबी कतारों ने पूरे एक्सप्रेसवे को जाम कर दिया। घंटों तक गाड़ियां रेंगती रहीं और लोगों को कई-कई घंटे ट्रैफिक में फंसे रहना पड़ा।
ड्रोन फुटेज में दिखी अव्यवस्था की भयावह तस्वीरें
सोशल मीडिया पर वायरल ड्रोन फुटेज में दिखा कि 36 लेन वाला यह हाईवे पूरी तरह कारों से भर गया था। चारों ओर चमकती हेडलाइट्स के बीच गाड़ियां धीरे-धीरे आगे बढ़ती नजर आईं। पर आगे जाकर जब 36 लेन एक साथ चार लेन में सिमट गईं, तो हालात और बिगड़ गए। सैकड़ों गाड़ियां एक ही जगह फंसी रहीं, जिससे कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया। ऊपर से देखने पर पूरा नजारा किसी चमकते हुए “ट्रैफिक महासागर” जैसा लग रहा था।
सोशल मीडिया पर छाया “अराजकता का सुंदर दृश्य”
जैसे ही यह वीडियो ऑनलाइन आया, नेटिज़न्स ने इसे देखते ही मजेदार और व्यंग्य भरे कमेंट्स करने शुरू कर दिए। किसी ने लिखा, “जब 32 लेन को 6 में मिलाओगे, तो यही होगा।” एक अन्य यूजर ने कहा, “अराजकता भी सुंदर लगती है, बस आप उसमें फंसे न हों।” वहीं किसी ने लिखा, “हमेशा अपनी कार में स्नैक्स, पानी और पावर बैंक रखो, क्योंकि चीन के जाम का कोई भरोसा नहीं।” एक भारतीय यूजर ने तो इसे मजाक में “गुड़गांव की रोज़मर्रा की ट्रैफिक स्थिति” कह दिया।
छुट्टियों का असर, एक साथ सड़क पर उतरे लोग
इस बार चीन में नेशनल डे और मिड-ऑटम फेस्टिवल एक साथ मनाए गए, जिससे छुट्टी आठ दिनों (1 से 8 अक्टूबर) की हो गई। इतने लंबे अवकाश में लोग परिवार संग घूमने निकले और त्योहार खत्म होते ही सब एक साथ वापस लौटे। चीन के पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक, इस दौरान करीब 888 मिलियन यात्राएं हुईं जो पिछले साल के 765 मिलियन यात्राओं की तुलना में कहीं ज्यादा थीं। इतने बड़े पैमाने पर यात्रा करने वालों के एक साथ लौटने से सड़कों पर हाहाकार मच गया।
2010 का रिकॉर्ड तोड़ जाम याद आया
यह पहला मौका नहीं है जब चीन को ऐसे विशाल ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा हो। 2010 में बीजिंग-तिब्बत एक्सप्रेसवे पर लगभग 100 किलोमीटर लंबा जाम लगा था, जो पूरे 12 दिन तक चला था। कई ट्रक बीच रास्ते में खराब हो गए थे, जिससे हाईवे एक अस्थायी पार्किंग स्थल बन गया था। लोग गाड़ियों में ही खाना, पानी और नींद पूरी करते रहे। उस जाम के बाद भी सरकार ने ट्रैफिक सुधार की योजनाएं बनाई थीं, लेकिन इस बार की स्थिति ने फिर वही कहानी दोहरा दी।
क्या पब्लिक ट्रांसपोर्ट ही है असली समाधान?
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई। क्या हर किसी को गाड़ी चलाने देना सही है? कई लोगों का कहना था कि इतने बड़े देश में सबको अपनी कार चलाने की छूट देने से ट्रैफिक और प्रदूषण दोनों बढ़ेंगे। एक यूज़र ने लिखा, “अगर हर कोई कार खरीदेगा तो सड़कों का हाल ऐसा ही रहेगा। असली समाधान है सस्ता, तेज़ और भरोसेमंद पब्लिक ट्रांसपोर्ट।” कई विशेषज्ञों का भी मानना है कि चीन जैसे घनी आबादी वाले देशों को अब निजी वाहनों पर निर्भरता घटाकर मेट्रो, बस और रेल सेवाओं को अधिक सुलभ बनाना चाहिए।
सरकार के लिए चेतावनी का संकेत
यह जाम केवल ट्रैफिक की समस्या नहीं, बल्कि चीन के बढ़ते वाहन भार और शहरी योजना की चुनौतियों की भी ओर इशारा करता है। अगर आने वाले वर्षों में ट्रैफिक प्रबंधन और सार्वजनिक परिवहन में सुधार नहीं हुआ, तो ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आ सकती हैं।