Cloud Seeding in Delhi : दिल्ली के कई इलाकों में मंगलवार, 28 अक्टूबर को क्लाउड सीडिंग का परीक्षण किया गया। अधिकारियों का अनुमान है कि कुछ समय के भीतर कृत्रिम बारिश होने की संभावना है। मौसम अनुकूल रहा तो आज दिन में दूसरा ट्रायल भी किया जा सकता है। विमान ने सुबह कानपुर से उड़ान भरी और ट्रायल के बाद मेरठ लौट आया। उत्तरी और बाहरी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में क्लाउड सीडिंग की गई।
कौन-कौन से इलाकों में हुआ ट्रायल ?
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि यह ट्रायल सेसना प्लेन के जरिए किया गया। विमान मेरठ से दिल्ली के लिए रवाना हुआ और खेकड़ा, बुराड़ी, मयूर विहार समेत कई इलाकों में क्लाउड सीडिंग की गई।
उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में 8 फ्लेयर का इस्तेमाल किया गया और पूरे परीक्षण में लगभग आधे घंटे का समय लगा। दूसरी और तीसरी ट्रायल भी आज ही की जाएंगी। मौसम और परिस्थितियों के आधार पर 15 मिनट से 4 घंटे के भीतर बारिश होने की संभावना है। इस प्रक्रिया को आने वाले कई दिनों तक इसी तरह शॉर्ट ट्रायल के रूप में दोहराया जाएगा।
दिल्ली से पहले किन शहरों में हुआ प्रयोग ?
दिल्ली में यह पहली बार है जब क्लाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इससे पहले मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु में इस तकनीक का सफल परीक्षण किया जा चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि कृत्रिम बारिश से हवा में मौजूद धूल, धुआं और हानिकारक कण नीचे बैठ जाएंगे, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में सुधार होगा। फिलहाल दिल्ली की हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच चुकी है। पर्यावरण विभाग के अनुसार, यदि यह ट्रायल सफल रहता है तो इसे आने वाले हफ्तों में दोबारा किया जा सकता है।
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IIT कानपुर के वैज्ञानिकों का मिला साथ
क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट में IIT कानपुर के वैज्ञानिकों की तकनीकी मदद ली जा रही है। IIT कानपुर पहले भी इस तकनीक पर शोध कर चुका है और इस बार दिल्ली सरकार को सलाह दे रहा है। सरकार को उम्मीद है कि इस पहल से राजधानी की हवा थोड़ी साफ होगी और नागरिकों को प्रदूषण से राहत मिलेगी। इसे दिल्ली को स्वच्छ और सांस लेने योग्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।



