‘हम पर दबाव बनाया जा रहा’ बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए समय बढ़ाने पर विवाद, गोस्वामी समाज ने बताई आपबीती

वृंदावन के प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के दर्शन के समय में बदलाव कर दिया गया है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई लेवल मैनेजमेंट कमेटी ने लिया है। हालांकि, कमेटी के सदस्य शैलेंद्र गोस्वामी का कहना है कि उन पर दबाव डालकर इस फैसले के लिए सहमति ली गई थी। उन्होंने दर्शन समय में किए गए बदलाव का विरोध किया है।

Banke Bihari Temple Controversy

Banke Bihari Temple Controversy : उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित विश्व प्रसिद्ध ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर एक बार फिर चर्चाओं में है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लंबे समय से मंदिर में दर्शन व्यवस्था को सुधारने की मांग उठ रही थी। इसी क्रम में मंदिर में कॉरिडोर निर्माण का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए मंदिर की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए एक उच्च स्तरीय प्रबंधन समिति (हाई लेवल मैनेजमेंट कमेटी) का गठन किया।

सुप्रीम कोर्ट ने आयोजित की विशेष बैठकें

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त इस हाई लेवल मैनेजमेंट कमेटी ने अब तक कुल पांच बैठकें आयोजित की हैं। इन बैठकों में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर की व्यवस्था से जुड़े कुल नौ प्रस्तावों पर चर्चा की गई, जिनमें अधिकांश पर सहमति बन गई। सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा था — मंदिर में दर्शन के समय को बढ़ाया जाना, ताकि श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और सभी को सुगमता से दर्शन का अवसर मिल सके। चौथी बैठक में इस पर सहमति बनी कि मंदिर के दर्शन के समय में बदलाव किया जाएगा, जिससे भक्तों को और अधिक समय तक ठाकुर जी के दर्शन मिल सकें।

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हालांकि, तकनीकी या प्रशासनिक कारणों से यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू नहीं किया जा सका। इसके बाद, समिति की पांचवीं बैठक वृंदावन के लक्ष्मण शहीद स्मारक भवन में आयोजित की गई। इस बैठक में दर्शन समय में परिवर्तन के आदेश को औपचारिक रूप से पारित कर दिया गया। 30 सितंबर (मंगलवार) से यह नई समय सारणी लागू कर दी गई है। समिति के अनुसार, यह निर्णय गोस्वामी समाज के साथ परामर्श और सहमति के बाद लिया गया था।

हालांकि, इस बदलाव को लेकर विवाद भी सामने आया है। 30 सितंबर को सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हुआ, जिसमें कमेटी के सदस्य शैलेंद्र गोस्वामी ने आरोप लगाया कि उन पर मानसिक दबाव डालकर इस निर्णय के लिए सहमति ली गई। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वे दर्शन समय में परिवर्तन के खिलाफ थे और यह निर्णय उनकी स्वेच्छा से नहीं लिया गया।

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