Ind vs Aus 2nd Test : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में होने वाला बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का दूसरा टेस्ट 6 दिसंबर से शुरू होगा। यह टेस्ट पांच मैचों की श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें गुलाबी गेंद से खेला जाएगा। ऑस्ट्रेलिया, पर्थ में पहले टेस्ट में हार के बाद इस मैच में वापसी करने की कोशिश करेगा। ऑस्ट्रेलिया, जो दिन-रात्रि क्रिकेट का अग्रदूत माना जाता है, इस प्रारूप में अपनी निरंतर सफलता के लिए जाना जाता है।
उसने 12 गुलाबी गेंद टेस्ट खेले हैं, जिनमें से केवल एक में उसे हार का सामना करना पड़ा है। एडिलेड ओवल को गुलाबी गेंद क्रिकेट का घर माना जाता है, और यह स्थल ऑस्ट्रेलिया के लिए एक मजबूत किला भी रहा है। प्रशंसकों को उत्साहित करने और स्टेडियम व टेलीविजन पर अधिक दर्शक आकर्षित करने के उद्देश्य से 2015 में दिन-रात्रि टेस्ट की शुरुआत की गई थी। पहला गुलाबी गेंद टेस्ट ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच एडिलेड ओवल में खेला गया था, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने तीन विकेट से जीत हासिल की थी। इस महत्वपूर्ण श्रृंखला में वापसी के लिए ऑस्ट्रेलिया को इससे बेहतर मंच और परिस्थितियां नहीं मिल सकतीं, खासकर भारत के खिलाफ, जहां बल्लेबाजी में कुछ अनुभव की कमी नजर आ रही है।
पहला मैच हारने के बावजूद, ऑस्ट्रेलिया एडिलेड में मानसिक बढ़त के साथ खेलेगा, क्योंकि उसने पिछले दौरे में भारत को गुलाबी गेंद टेस्ट में हराया था। उस मैच में भारत अपनी दूसरी पारी में सिर्फ 36 रन पर सिमट गया था और उसे 8 विकेट से हार मिली थी।
क्या होता है पिंक बॉल डे-नाइट मैच ?
डे-नाइट टेस्ट मैचों में पिंक बॉल का इस्तेमाल मुख्य रूप से इस कारण किया जाता है कि यह रात के समय फ्लड लाइट्स में आसानी से नजर आती है, जबकि लाल गेंद अंधेरे में कम दिखाई देती है। टेस्ट मैच सामान्य रूप से लाल गेंद से खेले जाते हैं, और आपने देखा होगा कि कभी-कभी खराब रोशनी के कारण अंपायर खेल को रोक देते हैं, क्योंकि लाल गेंद की विजिबिलिटी घट जाती है, जिससे खिलाड़ियों को खेलते समय दिक्कत होती है।
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पिंक गेंद लाल गेंद की तुलना में ज्यादा चमकदार होती है, जिससे रात में बल्लेबाजों और फील्डरों को इसे देखना आसान होता है। हालांकि, पिंक बॉल के साथ कुछ समस्याएं भी हैं। पहले और दूसरे सेशन में खेलने में कोई खास परेशानी नहीं होती, लेकिन तीसरे सेशन में यह गेंद अपनी चमक खोने लगती है, जिससे बल्लेबाजी करना मुश्किल हो जाता है।