WCL 2025: वर्ल्ड चैम्पियनशिप ऑफ लीजेंड्स (WCL) 2025 का भारत-पाकिस्तान सेमीफाइनल मुकाबला अब नहीं होगा, क्योंकि भारत चैम्पियंस ने पाकिस्तान के खिलाफ खेलने से साफ इनकार कर दिया है। यह निर्णय सिर्फ एक खेल से जुड़ा फैसला नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रवादी भावना और आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश है। 31 जुलाई को होने वाले इस मुकाबले से पहले ही पूर्व क्रिकेटर शिखर धवन, सुरेश रैना, हरभजन सिंह, इरफान पठान और यूसुफ पठान ने पाकिस्तान के खिलाफ मैदान में उतरने से मना कर दिया था। EaseMyTrip जैसी कंपनी ने भी मैच से खुद को अलग करते हुए कहा कि “आतंकवाद और क्रिकेट एक साथ नहीं चल सकते।” अप्रैल 2025 में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद यह भावना और तीव्र हो गई है। भारत का यह रुख न सिर्फ खेल बल्कि नैतिक मूल्यों की जीत है। अब पूरा देश इस फैसले की सराहना कर रहा है।
देश पहले, क्रिकेट बाद में
पूर्व भारतीय क्रिकेटर शिखर धवन, सुरेश रैना, हरभजन सिंह, इरफान पठान और यूसुफ पठान ने पाकिस्तान के खिलाफ खेलने से दो टूक मना कर दिया। शिखर धवन ने साफ कहा, “देश से बड़ा कुछ नहीं होता। आतंकियों के सरपरस्त देश के साथ कोई खेल नहीं हो सकता।” धवन पहले ही आयोजकों को सूचित कर चुके थे कि वह पाकिस्तान के खिलाफ नहीं खेलेंगे।
EaseMyTrip जैसे जिम्मेदार स्पॉन्सर ने भी इस राष्ट्रवादी रुख का समर्थन करते हुए मैच से हटने का ऐलान किया। कंपनी के सह-संस्थापक निशांत पिट्टी ने कहा, “आतंकवाद और क्रिकेट एक साथ नहीं चल सकते। हम भारत की भावनाओं का सम्मान करते हैं।”
अंक चाहिए, ज़मीर नहीं
पाकिस्तान चैम्पियंस की ओर से शर्मनाक प्रतिक्रिया सामने आई। उन्होंने ग्रुप स्टेज में भारत से अंक साझा करने से भी इनकार कर दिया और दो अंक मांगने लगे—मानो खुद को ही विजेता घोषित करना चाहते हों। पाकिस्तानी पूर्व क्रिकेटर सलमान बट ने तो उलटे भारत की आलोचना कर डाली, लेकिन असली सवाल यह है—क्या वह अपने देश के आतंकवाद को भी इसी मजबूती से कोसेंगे?
भारत ने यह फैसला सिर्फ एक क्रिकेट मैच के लिए नहीं लिया, यह उन 26 निर्दोष नागरिकों को श्रद्धांजलि है जो अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए थे। यह निर्णय हर भारतीय की उस भावना को दर्शाता है जो यह मानता है कि पाकिस्तान के साथ किसी भी मंच पर भाईचारा दिखाना, अपने वीर शहीदों के बलिदान का अपमान है।
WCL आयोजकों को भी लेना होगा सबक
टूर्नामेंट के आयोजकों को अब यह समझना होगा कि भारत कोई “क्लिक बाइट” देश नहीं, बल्कि 140 करोड़ राष्ट्रवादियों की आवाज है। अगर वे पाकिस्तान को खेलने की छूट देते रहेंगे, तो उन्हें भारतीय समर्थन की उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए।
भारत की टीम ने वेस्टइंडीज को 13.2 ओवर में धूल चटाकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। लेकिन जब मुकाबला पाकिस्तान से होने लगा, तब खिलाड़ियों ने सीधा सवाल खड़ा कर दिया—क्या हम अपनी अंतरात्मा का सौदा करेंगे? जवाब था – “नहीं”।
यह सिर्फ मैच नहीं, एक राष्ट्रवादी रुख है
भारत ने पाकिस्तान को खेल के मैदान में नहीं, बल्कि नैतिकता और आत्मगौरव के मंच पर शिकस्त दी है। शिखर धवन और सुरेश रैना जैसे खिलाड़ियों ने यह साबित कर दिया कि क्रिकेट से पहले देश आता है। यह एक मजबूत संदेश है—जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ बना रहेगा, तब तक भारत उसके साथ कोई ताल्लुक नहीं रखेगा—ना मैदान में, ना मंच पर।