1993 बॉम्बे सीरियल ब्लास्ट के दोषी गैंगस्टर अबू सलेम आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के हलफनामे पर आपत्ति जताई है. अदालत ने कड़े शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि आप हमें न बताये क्या करना है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अबू सालेम पर फैसला लेने का ये सही समय नहीं है है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी भाषा पर ध्यान देने के लिए कहा. न्यायमूर्ति एसके कौल ने गृह मंत्रालय से कहा, “न्यायपालिका को भाषण मत दो. जब आप हमें कुछ तय करने के लिए कहते हैं तो हम इसे सहजता से नहीं लेते हैं.”अदालत ने कहा कि जो मुद्दे आपको हल करने हैं, फैसला आपको करना है आप उस पर भी फैसला लेने की जिम्मेदारी हम पर ही डाल देते हैं. न्यायामूर्ति एसके कौल ने आगे कहा कि गृह सचिव कोई नहीं है जो हमें इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए कहे.
मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट का दोषी अबू सलेम
बता दें कि 12 मार्च 1993 को मुंबई में दो घंटे के अंदर सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे. जिसमें 257 लोग मारे गए और 700 से ज़्यादा लोग घायल हो गए थे. हमले का मास्टरमाइंड अबू सलेम पुर्तगाल भाग गया था. लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अबू सलेम को नवंबर 2005 में पुर्तगाल से वापस लाया गया. 2017 में मामले में गैंगस्टर अबू सलेम को कोर्ट ने दोषी ठहराया और गुजरात से मुंबई हथियार ले जाने के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.