हम अपनी आंखों में कई सपने लेकर चलते हैं, उनहे पूरा करने के लिए हम हर परिस्थिति से सामना करते है फिर चाहे हम गरिब परिवार से हो या फिर मध्यम परिवार से. हम सबके जिवन में हमारे सपने के साथ एक और चिज है जो हम अपने साथ लेकर चलते हैं वो है मां बाप को हर परिस्थिति में उनको स्पोर्ट करना ताकि वो अब किसी भी तरह की परिस्थिती से ना झूझें।
ऐसा ही सपना लेकर निकली थी हमारी अंकिता..,
अंकिता भंडारी हत्याकांड से उत्तराखंड में हर तरफ बवाल मचा हुआ है. अंकिता भंडारी की मौत ने उसके दोस्तों और परिचितों को भी सदमे में डाल दिया है. इस बीच उसके एक दोस्ट का कहना है कि वह अपने भविष्य को लेकर काफी उत्साहित थी. अंकिता के दोस्त ने बताया कि, “अंकिता अपने भविष्य, अपने करियर को लेकर उत्साहित थी और वह अपने परिवार को सपोर्ट करना चाहती थी.”

एक रिपोर्ट के मुताबिक अंकिता के स्कूल फ्रेंड विवेक नेगी ने बताया, ”अंकिता काफी गरीब परिवार से थी. वो हमेशा कहती थी कि 12वीं पास करने के बाद उसे अपने परिवार को सपोर्ट करना है.” विवेक ने आगे कहा, “हम पौड़ी के पहाड़ी इलाकों से हैं. इस क्षेत्र के लोग अक्सर नौकरी की तलाश में बाहर निकलते हैं, लेकिन वे आमतौर पर बहुत ही सरल स्वभाव के होते हैं. अंकिता भी एक साधारण लड़की थी जो बातूनी नहीं थी. वो बस अपने काम और अपने परिवार के साथ खड़े रहने पर ध्यान देती थी.”
हजारों लोगों ने दी अंकिता को अंतिम विदाई
इस बीच हजारों लोगों ने रविवार शाम नम आंखों से अंकिता भंडारी को पौड़ी जिले के श्रीनगर में अलकनंदा नदी के तट पर अंतिम विदाई दी. पौड़ी जिले के यमकेश्वर स्थित गंगा भोगपुर में वनतारा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करने वालीं 19 वर्षीय अंकिता का शव शनिवार को ऋषिकेश के पास चीला नहर से बरामद किया गया था.
इससे पहले, अंकिता की गुमशुदगी के मामले में शुक्रवार को गिरफ्तार तीनों आरोपियों-रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य, प्रबंधक सौरभ भास्कर और सहायक प्रबंधक अंकित गुप्ता ने उसे नहर में धकेलकर हत्या करने की बात स्वीकार की थी.
मुख्य आरोपी पुलकित हरिद्वार के पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा है, जो पूर्व में दर्जाधारी राज्य मंत्री भी रह चुके हैं. हालांकि, घटना के सामने आने के बाद बीजेपी ने आर्य को तत्काल पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. श्रीनगर में एनआइटी घाट पर अंकिता के भाई अजय सिंह भंडारी ने उसके शव को मुखाग्नि दी. इससे पहले, अंकिता के परिवार वालों ने अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट न आने और उसे सार्वजनिक न किए जाने तक उसकी अंत्येष्टि से इनकार किया था.