27 साल विदेश में रहा, ‘भारत के माथे’ पर लगाया ‘खूनी दाग’ बॉन्डी बीच पर नरसंहार! बेटा-बाप ने मिलकर 15 लोगों को भूना

सिडनी के बॉन्डी बीच पर आतंकी हमले के शूटर साजिद अकरम का हैदराबाद से होना भारत के लिए सदमे की लहर है। इस जघन्य यहूदी-विरोधी कृत्य ने 15 जानें लीं। 27 साल पहले भारत छोड़ने वाले साजिद का विदेशी कट्टरपंथ देश के लिए 'शर्मनाक धब्बा' बन गया है, जिससे भारतीय प्रवासियों पर बहस छिड़ गई है।

Bondi Beach

Bondi Beach attack: सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में बॉन्डी बीच पर हुए जघन्य आतंकी हमले के पीछे हैदराबाद में जन्मे साजिद अकरम का हाथ होने की पुष्टि ने पूरे भारत को सकते में डाल दिया है। 50 वर्षीय साजिद अकरम, जिसने 27 साल पहले भारत छोड़ दिया था, और उसके 24 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई-जन्म बेटे नवीद अकरम ने मिलकर हनुक्का उत्सव पर यहूदी समुदाय को निशाना बनाते हुए 15 लोगों की हत्या कर दी। ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने इसे ‘इस्लामिक स्टेट की विचारधारा से प्रेरित यहूदी-विरोधी आतंकवाद’ बताया है। इस खबर ने हैदराबाद के सांस्कृतिक ताने-बाने को झकझोर कर रख दिया है।

एक भारतीय प्रवासी द्वारा विदेशी धरती पर ऐसे नृशंस कृत्य को अंजाम देना देश के लिए एक ‘शर्मनाक धब्बा’ माना जा रहा है। तेलंगाना पुलिस ने जोर दिया है कि साजिद का भारत में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था और उसका कट्टरपंथ विदेशों में हुआ, पर इसके बावजूद, करोड़ों भारतीयों के मन में यह सवाल है कि जिसने इन गलियों में चलना सीखा, वह विदेश जाकर इतना भयानक राक्षस कैसे बन गया? यह घटना भारतीय प्रवासियों के बीच कट्टरपंथ पर एक अप्रिय बहस को जन्म देती है, भले ही अधिकारियों ने स्थानीय प्रभाव को खारिज कर दिया हो। (लगभग 120 शब्द)

पिता-पुत्र का नरसंहार और देश की चुप्पी

14 दिसंबर को जब परिवार “चानुकाह बाय द सी” नामक आनंदमय सार्वजनिक उत्सव के लिए बॉन्डी बीच पर एकत्र हुए थे, तभी शाम 6:45 बजे (स्थानीय समय) अराजकता फैल गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने भयावहता के ऐसे दृश्य बताए जिन्हें शब्दों में बयाँ करना मुश्किल है। साजिद और नवीद अकरम, उच्च शक्ति वाली बंदूकों से लैस होकर, समुद्र तट को देखने वाले एक पैदल पुल से अंधाधुंध गोलियां चलाने लगे।

“अल्लाहू अकबर” चिल्लाते हुए, कथित तौर पर दोनों ने यहूदी भीड़ को निशाना बनाया, जिसमें पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए। 15 पीड़ितों में एक 10 वर्षीय बच्ची और एक होलोकॉस्ट सर्वाइवर भी शामिल थे। 40 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें सिडनी में पढ़ रहे तीन भारतीय छात्र भी शामिल हैं।

एक निहत्थे मुस्लिम ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति ने बहादुरी दिखाते हुए नवीद को पकड़कर उसका हथियार छीन लिया, जबकि एक बुजुर्ग जोड़े ने साजिद को रोकने की कोशिश की, लेकिन वे मारे गए। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची, और मुठभेड़ में साजिद की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। नवीद, जो गंभीर रूप से घायल था, मंगलवार को कोमा से बाहर आया और आतंकवाद के आरोपों का सामना कर रहा है।

Bondi Beach जांचकर्ताओं को हमलावरों की कार से इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) और इस्लामिक स्टेट के झंडे मिले, जिसने उनके वैचारिक मकसद की पुष्टि की। पिता-पुत्र ने नवंबर में लगभग एक महीना फिलीपींस में बिताया था—एक ऐसा देश जहाँ चरमपंथी हॉटस्पॉट मौजूद हैं—जिससे यह आशंका बढ़ गई है कि उन्होंने वहाँ प्रेरणा या प्रशिक्षण मांगा होगा।

हैदराबाद से दहशतगर्द तक: एक चौंकाने वाली गद्दारी

साजिद अकरम, जिसने भारत छोड़ने से पहले हैदराबाद से बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की थी, एक समय विदेश में अवसरों की तलाश में निकला एक और आम युवा था। नवंबर 1998 में छात्र वीजा पर ऑस्ट्रेलिया जाने के बाद, उसने यूरोपीय मूल की एक महिला से शादी की, सिडनी के पश्चिमी उपनगरों में बस गया, और भारत में अपने परिवार से उसका संपर्क सीमित हो गया। ओल्ड हैदराबाद में उसके रिश्तेदारों ने मीडिया को बताया कि उन्होंने सालों पहले उसकी अंतर्धार्मिक शादी को लेकर उससे संबंध तोड़ दिए थे, और इस घटना के बारे में सुनकर वे पूरी तरह से टूट गए हैं।

साजिद के एक भाई ने रिपोर्टरों से कहा, “परिवार में किसी को भी उसकी कट्टरपंथी मानसिकता का कोई अंदाज़ा नहीं था।” तेलंगाना पुलिस ने भी इस बात को दोहराते हुए एक आधिकारिक बयान में कहा: “साजिद अकरम और उसके बेटे के कट्टरपंथ के कारण भारत या तेलंगाना में किसी भी स्थानीय प्रभाव से जुड़े हुए प्रतीत नहीं होते हैं।” साजिद ने 27 वर्षों में केवल छह बार भारत का दौरा किया, जो अधिकतर संपत्ति संबंधी मामलों या माता-पिता से मिलने के लिए था, और उसकी मृत्यु तक उसके पास भारतीय पासपोर्ट था।

तेलंगाना के डीजीपी ने जोर देकर कहा कि साजिद के भारत में रहने के दौरान उसके खिलाफ कोई प्रतिकूल रिकॉर्ड नहीं था, और अधिकारी अंतरराष्ट्रीय जांच में सहयोग कर रहे हैं। फिर भी, हैदराबाद के कई लोगों के लिए—जो ऐतिहासिक मस्जिदों, मंदिरों और एक जीवंत तकनीकी केंद्र का घर है—यह खबर एक व्यक्तिगत दाग जैसा महसूस होती है। भारत में सोशल मीडिया पर निंदा का तांता लगा हुआ है, उपयोगकर्ता इस बात पर शर्म व्यक्त कर रहे हैं कि ‘धरती का एक बेटा’ विदेश में ऐसा भयावह कृत्य कर सकता है।

एक हैदराबादी निवासी ने ऑनलाइन पोस्ट किया, “यह भारत के लिए दिल दहला देने वाला है। वह एक साधारण हैदराबादी के रूप में गया, दशकों तक विदेश में रहा, और दुनिया में एक राक्षस के रूप में लौटा। यह कैसे हुआ?”

भारत और प्रवासी भारतीयों के लिए व्यापक निहितार्थ

इस Bondi Beach  घटना ने भारत में प्रवासियों के बीच कट्टरपंथ को लेकर बहस छेड़ दी है, हालाँकि अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि यह पूरी तरह से विदेशों में हुआ। ऑस्ट्रेलिया में लाखों भारतीय होने के कारण, हमले के इस भारतीय कनेक्शन ने आत्म-मंथन को प्रेरित किया है। घायल हुए तीन भारतीय छात्र इस दर्द को और बढ़ा रहे हैं, जो प्रवासी समुदाय की भेद्यता को उजागर करता है।

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बनीस ने इसे “शुद्ध बुराई” बताया और सख्त बंदूक कानूनों और यहूदी-विरोधी के खिलाफ कार्रवाई का संकल्प लिया है। इज़राइल और अमेरिका सहित विश्व नेताओं ने हमले की निंदा घृणा से प्रेरित आतंकवाद के रूप में की है।

सिडनी में Bondi Beach पवेलियन में फूलों की श्रद्धांजलि का ढेर लग रहा है, वहीं हैदराबाद एक अवांछित सुर्खियों से जूझ रहा है। यहाँ के परिवार अविश्वास में फुसफुसा रहे हैं: एक आदमी जो इन गलियों में चला, वह ऐसी क्रूरता के काबिल कैसे बन गया? विविधता और शांति पर गर्व करने वाले भारत के लिए, यह एक कड़वी, चौंकाने वाली याद दिलाता है कि उग्रवाद की कोई सीमा नहीं होती—और यह उन लोगों को भी अपनी चपेट में ले सकता है जो बहुत पहले चले गए थे।

यह वीडियो भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई समुदाय की प्रतिक्रियाओं और इस दुखद घटना के दौरान एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुभव को सामने लाता है।

Exit mobile version