Kolkata Stir: कोलकाता पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की सक्रियता ने एक रेप-मर्डर केस में बंगाल की राजनीति और समाज को हिला कर रख दिया है। इस मामले में दो प्रसिद्ध डॉक्टरों और बीजेपी नेता लॉकेट चटर्जी को गलत जानकारी फैलाने और पीड़िता की पहचान उजागर करने के आरोप में नोटिस जारी किया गया है। साथ ही, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल से सीबीआई की मैराथन पूछताछ भी इस मामले में नए सवाल खड़े कर रही है।
डॉक्टरों और बीजेपी नेता को पुलिस का नोटिस
कोलकाता पुलिस (Kolkata Stir) ने रविवार को हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. कुणाल सरकार, फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. सुवर्ण गोस्वामी, और बीजेपी नेता लॉकेट चटर्जी को नोटिस जारी किया। पुलिस का दावा है कि इन दोनों डॉक्टरों ने मामले की जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाई है, जिससे जनता में भ्रम फैल सकता है। इसके अलावा, लॉकेट चटर्जी पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर पीड़िता की पहचान उजागर की, जो भारतीय कानून के तहत अवैध है। तीनों को रविवार दोपहर 3 बजे तक लालबाजार स्थित पुलिस मुख्यालय में पेश होने का निर्देश दिया गया है।
बीजेपी नेता और डॉक्टरों की प्रतिक्रिया
बीजेपी नेता लॉकेट चटर्जी ने पुलिस के इस (Kolkata Stir) नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह कानूनी प्रक्रिया का पालन करेंगी और पुलिस के सामने अपना पक्ष रखेंगी। दूसरी ओर, डॉक्टरों की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन चिकित्सा क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों ने इसे डॉक्टरों के पेशेवर अधिकारों पर सवाल उठाने वाला कदम बताया है।
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सीबीआई की मैराथन पूछताछ
इसी केस में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के (Kolkata Stir) पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष से सीबीआई ने 23 घंटे से अधिक पूछताछ की। यह पूछताछ एक पीजी प्रशिक्षु डॉक्टर की संदिग्ध मौत के सिलसिले में की गई। शुक्रवार दोपहर से शुरू हुई इस पूछताछ के दौरान संदीप घोष को एक छोटा ब्रेक दिया गया, जब वह अपने घर गए और कुछ देर बाद वापस लौटे। यह पूछताछ सीबीआई की विशेष अपराध इकाई द्वारा की गई, जिसमें उनसे मौत की जानकारी मिलने से लेकर उनकी प्रतिक्रियाओं तक के बारे में विस्तार से सवाल पूछे गए।
पूछताछ के अहम सवाल
सीबीआई ने डॉ. घोष से कई अहम सवाल पूछे, जिनमें मुख्य रूप से यह (Kolkata Stir) शामिल थे कि मौत की जानकारी उन्हें किसने दी, उन्होंने क्या कदम उठाए, और घटना की सूचना परिवार और पुलिस को कैसे दी गई। साथ ही, उनसे पूछा गया कि क्यों पीड़िता को लगातार 48 घंटे तक काम करने के लिए कहा गया था और इस घटना के बाद उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया। सीबीआई ने अब तक 32 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं और मामले की जाँच जारी है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
यह घटना न केवल राज्य की राजनीति में हलचल मचाने की क्षमता रखती है, बल्कि समाज में भी अस्थिरता पैदा कर सकती है। इस मामले में बीजेपी नेता का नाम आना राज्य सरकार और विपक्ष के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है। डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के पेशेवर अधिकारों पर उठ रहे सवाल भी इस मामले को और जटिल बना रहे हैं।
आगे की कार्रवाई पर नजर
इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस और सीबीआई दोनों की तरफ से सक्रियता बनी हुई है। सीबीआई द्वारा लगातार पूछताछ और पुलिस द्वारा जारी नोटिस ने इस केस को और गंभीर बना दिया है। सभी की निगाहें अब इस पर हैं कि आगे इस मामले में कौन से नए खुलासे होते हैं और कानून का कौन सा पक्ष मजबूत साबित होता है।