Maulana Shamsul Huda Khan Azamgarh News: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से ताल्लुक रखने वाले कथित धर्मगुरु मौलाना शमशुल हुदा खान की मुश्किलें अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ने वाली हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत केस दर्ज कर करोड़ों की बेनामी संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, शमशुल हुदा ने ब्रिटिश नागरिकता लेने के बावजूद वर्षों तक भारतीय सरकारी मदरसे से अवैध रूप से वेतन लिया। सबसे चौंकाने वाला खुलासा उनके पाकिस्तान स्थित कट्टरपंथी संगठन ‘दावत-ए-इस्लामी’ और ब्रिटेन के चरमपंथी समूहों से संबंधों को लेकर हुआ है। जांच में उनके 7-8 बैंक खातों में करोड़ों की विदेशी फंडिंग और 30 करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्तियों का पता चला है, जो कथित तौर पर कट्टरपंथ फैलाने के लिए इस्तेमाल की जा रही थीं।
विदेशी नागरिकता और सरकारी सैलरी का ‘खेल’
जांच एजेंसियों के मुताबिक, Maulana Shamsul Huda Khan 1984 में आजमगढ़ के एक सरकारी सहायता प्राप्त मदरसे में शिक्षक नियुक्त हुए थे। 2013 में उन्होंने ब्रिटेन की नागरिकता हासिल कर ली, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर 2017 तक वे सरकारी खजाने से वेतन लेते रहे। न तो वे इस दौरान भारत में थे और न ही बच्चों को पढ़ा रहे थे। यह धोखाधड़ी उनके बड़े वित्तीय साम्राज्य की एक छोटी सी कड़ी मात्र है।
पाकिस्तान और दावत-ए-इस्लामी से जुड़े तार
सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि Maulana Shamsul Huda Khan ‘दावत-ए-इस्लामी’ जैसे संगठनों के जरिए भारत में कट्टरपंथी विचारधारा को खाद-पानी दे रहे थे। उनके एनजीओ ‘रजा फाउंडेशन’ के जरिए आजमगढ़ और संत कबीर नगर में संचालित मदरसों की फंडिंग भी रडार पर है। इन मदरसों का पंजीकरण प्रशासन पहले ही रद्द कर चुका है।
आजमगढ़: आतंक की परछाइयों से फिर जुड़ा नाम
Maulana Shamsul Huda Khan का यह मामला एक बार फिर आजमगढ़ के उस विवादित इतिहास की याद दिलाता है जिसने दशकों तक जिले की छवि को प्रभावित किया।
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संजंरपुर और बटला हाउस: 2008 के बटला हाउस एनकाउंटर के बाद आजमगढ़ का संजरपुर इलाका देशव्यापी चर्चा में आया था, जब वहां के युवकों के तार इंडियन मुजाहिदीन (IM) से जुड़े पाए गए थे।
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आतंकी नेटवर्क: अतीत में आजमगढ़ के नाम का इस्तेमाल अबू राशिद, डॉ. शाहनवाज और आरिज खान जैसे आतंकियों के संदर्भ में होता रहा है, जिन्होंने देश के विभिन्न शहरों में हुए बम धमाकों में अपनी भूमिका निभाई थी।
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छवि सुधार की कोशिशों को झटका: जहां एक तरफ आजमगढ़ अपनी शिक्षा, साहित्य और हाल ही में बने विश्वविद्यालय व हवाई अड्डे के जरिए ‘आतंकगढ़’ के टैग को धोने की कोशिश कर रहा है, वहीं शमशुल हुदा जैसे मामलों का सामने आना सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है।
