Chambal Dacoit : एक खूबसूरत मासूम लड़की कैसे बनी चंबल की खूंखार डाकू, क्या है उसकी दर्द भरी कहानी

रेनू यादव की कहानी एक मासूम लड़की से डकैत बनने तक की है। अपहरण और प्रताड़ना के बाद उसने डकैतों की दुनिया में कदम रखा और चंबल में खौफ फैलाया। जेल से बरी होकर उसने अपनी बेटी के लिए चंबल छोड़ दिया।

renu yadav

 Renu yadav transformation from innocent girl to dacoit : ये कहानी है रेनू यादव की, जो कभी एक प्यारी सी लड़की थीं और बाद में चंबल की कुख्यात डकैत बन गईं। रेनू यादव, जिनका जन्म औरैया जिले के जमालीपुर गांव में हुआ था, बहुत ही सुंदर थीं। उनका रंग गोरा था, चेहरा मासूम था और कद भी काफी अच्छा था। वह पांच बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनका सपना था कि पढ़ लिखकर अपने पिता की मदद करें, क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

मासूम लड़की से डकैत बनने का सफर

29 नवंबर 2003 को रेनू अपनी सहेलियों के साथ स्कूल जा रही थीं, तभी चंबल के कुख्यात डकैत चंदन यादव की नजर उन पर पड़ी और उसने उनका अपहरण कर लिया। रेनू के पिता ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने उनकी मदद नहीं की। चंदन यादव ने रेनू के पिता से 10 लाख की फिरौती मांगी, लेकिन उनका परिवार इतना पैसा जुटाने में सक्षम नहीं था। न तो वह पैसे जुटा पाए और न ही पुलिस ने कोई मदद की।

Renu के साथ चंबल के बीहड़ में बहुत बुरा बर्ताव हुआ। उसे महीनों तक भूखा रखा गया, मारा गया और बहुत तरह के जुल्मों का सामना करना पड़ा। लेकिन चंदन यादव की चंगुल से छुटकारा पाने के लिए रेनू के पास कोई रास्ता नहीं था। धीरे धीरे उसने खुद को डकैत बना लिया और चंबल की डकैतों की दुनिया में एक नई पहचान बनाई। उसका पहनावा, सफेद शर्ट, नीली जींस और माथे पर तिलक उसकी पहचान बन गई।

रेनू की खूबसूरती डकैतों का झगड़ा

रेनू की खूबसूरती ने चंबल के डकैतों के बीच झगड़ा शुरू करवा दिया। डकैत चंदन यादव की गैंग का खौफ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान तक फैल चुका था। रेनू ने चंदन के बच्चे को जन्म दिया, लेकिन चंदन की मौत के बाद उसकी जिंदगी और भी मुश्किल हो गई। एक और डकैत, रामवीर गुर्जर, ने रेनू को पाने की कोशिश की, लेकिन रेनू ने उसे गोलियों से भून डाला। इसके बाद रेनू खुद इटावा पुलिस स्टेशन पहुंच गई और खुद को सरेंडर कर दिया।

2012 में अदालत ने किया बरी

पुलिस ने रेनू को गिरफ्तार कर लिया और उस पर कई गंभीर आरोप लगे। लेकिन 2012 में अदालत ने उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया। जेल से बाहर निकलने के बाद रेनू को पता चला कि रामवीर गुर्जर फिर से चंबल में आकर उसे परेशान करने की कोशिश कर रहा था। अब रेनू ने चंबल के बीहड़ से दूर जाने का फैसला किया और सरकार से सुरक्षा की मांग की। सरकार ने उसे सुरक्षा दी और रेनू ने अपनी बेटी को नानी के पास भेज दिया ताकि उसका अतीत उसकी बेटी के जीवन में न आए

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