Dalit Youth Beaten to Death: उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के ऊंचाहार क्षेत्र में 1 अक्टूबर की शाम एक दिल दहला देने वाली घटना हुई। फतेहपुर निवासी दलित युवक हरिओम मानसिक रूप से अस्वस्थ था और अपनी ससुराल रायबरेली जा रहा था। रास्ते में डांडेपुर गांव के कुछ लोगों ने उसे चोर समझ लिया। लोगों ने बिना कुछ जाने उसे पकड़ लिया और बेल्ट व डंडों से बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया।
भीड़ ने इतनी बेरहमी दिखाई कि हरिओम की मौके पर ही मौत हो गई। हमलावर उसका शव वहीं छोड़कर फरार हो गए। अगले दिन यानी 2 अक्टूबर की सुबह उसका शव रेलवे ट्रैक के पास ईश्वरदासपुर हॉल्ट से करीब 20 मीटर दूर मिला।
कांग्रेस का आरोप “यहां सब बाबा वाले हैं”
इस घटना ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया है। कांग्रेस ने इसे योगी सरकार की नाकामी बताया। पार्टी का आरोप है कि जब हरिओम ने पिटाई के दौरान राहुल गांधी का नाम लिया, तो भीड़ और उग्र हो गई और कहने लगी “यहां सब बाबा वाले हैं।”
कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय और सांसद इमरान मसूद ने राज्य सरकार पर अपराधियों को खुली छूट देने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने भी पीड़ित परिवार से फोन पर बात कर संवेदना जताई। हालांकि, पुलिस का कहना है कि यह घटना जातिगत न होकर चोरी के शक में हुई थी।
एनएसयूआई का विरोध प्रदर्शन
इस हत्या के विरोध में लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियां लेकर और माथे पर काली पट्टी बांधकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने एनएसयूआई के कई सदस्यों को हिरासत में लेकर पास के एक गार्डन में भेज दिया।
“वह मुझसे मिलने आ रहा था…” पत्नी की व्यथा
हरिओम की पत्नी पिंकी ने बताया कि उनकी शादी 14 साल पहले हुई थी और उनकी एक बेटी भी है। उनका पति मानसिक रूप से कमजोर था और इलाज चल रहा था। पिंकी तीन साल से अपने मायके में रह रही थीं। वह रोते हुए बोलीं, “वह मुझसे मिलने ही आ रहा था, लेकिन उसे नहीं पता था कि यह उसकी आखिरी रात होगी।” हरिओम के पिता गंगादीन ने भी बताया कि उनका बेटा किसी को नुकसान नहीं पहुंचा सकता था। वह मानसिक रूप से अस्वस्थ था और भीख मांगकर गुजारा करता था।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
गांववालों के मुताबिक, युवक को पूरी रात पीटा गया, लेकिन पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। अब पुलिस ने वायरल वीडियो के आधार पर पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया है। इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है। क्या हमारे समाज में भीड़ न्याय से ऊपर हो चुकी है?