नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। देश की राजधानी दिल्ली में देररात हुए ब्लास्ट से दस लोगों की मौत हो गई, वहीं दर्जनों निर्दोष नागरिक घायल हुए है। धमाके के बाद पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां कई राज्यों में ऑपरेशन चलाए हुए हैं। इस पूरी खूनी साजिश का प्लान डॉक्टर आदिल ने एक और डॉक्टर उमर के साथ रचा था । उमर ने फिदायीन हमले के जरिए दिल्ली को लहूलुहान किया। उमर कस संबंध जैश- ए- मोहम्मद से निकल कर आ रहा है। सुरक्षा एजेंसियों की अभी तक की जांच पड़ताल में सामने आया है कि इस फिदायिन हमले को अंजाम देने का काम डॉक्टर उमर मोहम्मद ने किया है, जिसके शरीर के परखच्चे उड़ गये हैं। विस्फोट को अंजाम देने के लिए जिस हुंडई आई-20 कार का इस्तेमाल किया गया, वो डॉक्टर उमर ही चला रहा था। सोमवार की सुबह सात बजे वो फरीदाबाद से कार लेकर निकला था, जगह-जगह लगे सीसीटीवी कैमरों में ये दर्ज हुआ है।
दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट के बाद सुरक्षा एजेंसियों को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। जांच में सामने आया है कि फरीदाबाद में हुई कार्रवाई के बाद संदिग्ध डॉक्टर उमर मोहम्मद डर गया था। इसी हड़बड़ी में उसे दिल्ली में धमाके को अंजाम दे डाला। जांच एजेंसियों के मुताबिक, कार में आईईडी लगाया गया था। यह आत्मघाती हमला था। जांच में यह बात भी सामने आई है कि ब्लास्ट के तार फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल से जुड़े हैं। वहीं, घटनास्थल से कार में मिले शव का दिल्ली पुलिस डीएनए टेस्ट करवाएगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कार में सवार शख्स डॉक्टर उमर मोहम्मद ही था या कोई और था। खुफिया एजेंसियों को शक है कार में उमर ही था। इसके सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए हैं। ब्लास्ट के वक्त भी उमर की तस्वीर सीसीटीवी में कैद हुई थी। वी मुंह को मास्क से ढके हुए था। 29 अक्टूबर का भी सीसीटीवी सामने आया है। यहां भी उमर अपने साथी आदिल के साथ दिख रहा है।
सूत्रों के अनुसार, पुलवामा निवासी और डॉक्टर उमर मोहम्मद कथित तौर पर उस हुंडई आई 20 कार को चला रहा था जिसका इस्तेमाल लाल किला मेट्रो स्टेशन के पार्किंग क्षेत्र के पास हुए विस्फोट में किया गया था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पुलिस की प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि लाल किले के पास हुए विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट, ईंधन तेल और डेटोनेटर का इस्तेमाल किया गया होगा। एक पुलिस सूत्र ने कहा कि शुरुआती जांच से पता चलता है कि दिल्ली विस्फोट और फरीदाबाद आतंकी मॉड्यूल के बीच एक संभावित संबंध है, जहां 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट जब्त किया गया था। बता दें, दिल्ली में हुए विस्फोट से कुछ घंटे पहले, सोमवार को एक ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश करते हुए तीन डॉक्टरों समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया और 2,900 किलोग्राम विस्फोटक ज़ब्त किया गया। फरीदाबाद में बरामद 2,900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री में अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर शामिल हैं।
पुलिस सूत्रों से जानकारी मिली है कि उमर मोहम्मद फरीदाबाद मॉड्यूल का एक और डॉक्टर था। पेशे से डॉक्टर उमर मोहम्मद कथित तौर पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा था। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा निवासी कार मालिक तारिक को गिरफ्तार किया गया है। तारिक ने ही उमर मोहम्मद को धमाके में इस्तेमाल हुंडई आई 20 कार दी थी। आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा रहे अपने साथी डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद उमर मोहम्मद ने कथित तौर पर इस डर से इस आतंकी हमले को अंजाम दिया कि वह भी पकड़ा जा सकता है। इसी के चलते उमर ने दिल्ली में ब्लास्ट कर दिया। पुलिस की अभी तक की जांच में सामने आया है कि आई-20 कार, जिसे डॉक्टर उमर चला रहा था, वो सुबह आठ बजकर तेरह मिनट पर बदरपुर टोल प्लाजा के जरिये दिल्ली में दाखिल हुई थी। सुबह आठ बजकर बीस मिनट पर ये कार ओखला इंडस्ट्रियल एरिया के एक पेट्रोल पंप पर देखी गई।
दिल्ली में किए गए विस्फोट के लिए अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल का इस्तेमाल किया गयां इस तरह का विस्फोटक तैयार करना आसान है, जो बाजार में बिकने वाले यूरिया के साथ फ्यूल ऑयल को मिलाकर तैयार कर लिया जाता हैं अमूमन अब आरडीएक्स का इस्तेमाल आतंकी कम ही करते हैं, क्योंकि एक तो इसे हासिल करना आसान नहीं है, दूसरा इसकी कड़ियां जोड़ना आसान होता है कि आखिर ये आया कहां से हैं। जहां तक डॉक्टर उमर का सवाल है, उसके बारे में जम्मू- कश्मीर पुलिस को एक और डॉक्टर मुजम्मिल से जानकारी मिली, जिससे पुलिस अधिकारियों ने गहराई से पूछताछ की तो उसने अपने साथी आतंकवादियों के साथ मिलकर गढ़े गये बड़े आतंकी प्लान के बारे में काफी सनसनीखेज जानकारी दी। फिलहाल उमर के साथी से पुलिस की पूछताछ जारी है। लेडी डॉक्टर शाहीन भी जम्मू-कश्मीर पुलिस की गिरफ्त में है। उसने दिल्ली ब्लास्ट को लेकर अहम जानकारी दी है।
दरअसल, 24 फरवरी 1989 को जन्मे डॉक्टर उमर ने मेडिकल की पढ़ाई गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज श्रीनगर से की, जहां उसकी दोस्ती मुजम्मिल से हुई। वर्ष 2017 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों ने यहां रेजिडेंट डॉक्टर के तौर पर नौकरी भी की। दो साल पहले ये दोनों फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में नौकरी करने आ गये, डॉक्टर के तौर पर अभी तक की जांच में पता चला है कि जैश- ए- मोहम्मद से जुड़े इन आतंकवादियों की नीयत पूरे देश में बम धमाके करने की थी, जिसके लिए इन्होंने काफी तैयारी कर रखी थी। लेकिन एक के बाद एक, इस साजिश से जुड़े डॉक्टर मुजम्मिल सहित अपने कई साथियों के पकड़े जाने के बाद डॉक्टर उमर ने हड़बड़ी में सोमवार की शाम दिल्ली में लाल किले के पास फिदायीन अटैक कर दिया, ताकि पुलिस उस तक पहुंचे, उसके पहले वो अपने खतरनाक मंसूबे में कामयाब हो सके।
दरअसल इस साजिश की परतें खुलनी शुरु हुईं, इसी साल 18 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम इलाके में हुई एक पोस्टरबाजी की घटना के कारण। इसी के पुलिस हरकत में आई और 19 अक्टूबर को इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने नौगाम इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाली। इनकी जांच- पड़ताल से ये पता चला कि पोस्टर चिपकाने का काम तीन युवकों ने किया। पुलिस ने नौगाम इलाके के रहने वाले तीनों युवक – आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर- उल- अशरफ और मकसूद अहमद डार को अरेस्ट कर लिया। पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि ये तीनों 2019 से पहले कश्मीर में पत्थरबाजी किया करते थे। पत्थरबाजी करने के एवज में इन्हें पांच से 6 सौ रूपए मिला करते थे। तीनों युवकों ने नुलिस को बताया कि उन्होंने मौलवी के कहने पर नौगाम इलाके में पोस्टर चिपकाये थे।
पुलिस ने श्रीनगर के छनपुरा इलाके से मौलवी इरफान अहमद को दबोच लिया। मौलाना शूपियां का रहने वाला था और लंबे समय से आतंकी गतिविधियों में संलग्न था। मौलवी इरफान अहमद से जब जम्मू- कश्मीर पुलिस ने गहराई से पूछताछ की, तो इसने डॉक्टर आदिल के बारे में जानकारी दी। डॉक्टर आदिल से मौलवी अनंतनाग में मिला था, जहां के मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद वही वो रेजिडेंट डॉक्टर के तौर पर नौकरी कर रहा था। मौलवी ने ये कबूला कि जेहादी मानसिकता वाले डॉक्टर आदिल के पास उसने पिस्तौल देखी थी। मौलवी ने जमीर नामक एक और जेहादी के बारे में सूचना दी, जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त था। मौलवी से मिली इस जानकारी के आधार पर जम्मू- कश्मीर पुलिस ने गांदरबल के निवासी जमीर अहमद अहंगर को गिरफ्तार किया और उसके बाद डॉक्टर आदिल को ढूंढने की कवायद शुरु की।
तब पता चला कि मूल तौर पर कश्मीर के कुलगाम जिले के वानपुरा का रहने वाला डॉक्टर आदिल अनंतनाग छोड़ चुका है और ये सहारनपुर के एक अस्पताल में नौकरी कर रहा है। यहां पर यूपी एटीएस की मदद से इन्होंने डॉक्टर आदिल को पकड़ा। आदिल ने सहारनपुर में वी-ब्रोस अस्पताल में कुछ समय तक नौकरी की थी और गिरफ्तारी के पहले सहारनपुर के फेमस हॉस्पिटल को ज्वाइन कर लिया था। यही काम करते हुए आदिल की शादी हुई थी, जिस शादी में भाग लेने के लिए उसके कई मुस्लिम साथी कश्मीर भी गये थे। डॉक्टर आदिल से पूछताछ के दौरान जम्मू- कश्मीर पुलिस को डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनाई उर्फ मुसाइब के बारे में पता चला, जो आतंकी साजिश में उसके साथ शामिल था और श्रीनगर छोड़कर हरियाणा के फरीदाबाद में मौजूद अल फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के तौर पर नौकरी कर रहा था।
इसके बाद जम्मू- कश्मीर पुलिस ने अपना ध्यान डॉक्टर मुजम्मिल पर लगाया। डॉक्टर मुजम्मिल की तलाश में वो फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी पहुंची। जब उसने डॉक्टर मुजम्मिल से कड़ाई से पूछताछ की, तो उसने फरीदाबाद के एक ठिकाने के बारे में जानकारी दी, जहां वो बम विस्फोट करने के लिए तैयार की जाने वाली आईईडी से जुड़ी हुई सामग्री और उपकरण बड़े पैमाने पर रखे हुए था। इस जानकारी के आधार पर पुलिस को उस ठिकाने से 358 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री हासिल हुई, साथ में डेटोनेटर वगैरह उपकरण। डॉक्टर मुजम्मिल ने पूछताछ के दौरान ही अपनी गर्लफ्रैंड डॉक्टर शाहीन सईद के बारे में बताया, जो मूल तौर पर लखनऊ की रहने वाली थी और उसी के साथ अल फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में नौकरी कर रही थी। मुजम्मिल से मिली इस जानकारी के आधार पर जम्मू- कश्मीर पुलिस ने हरियाणा पुलिस की मदद से डॉक्टर शाहीन सईद भी दबोच लिया।










