Delhi-Kolkata Highway Mega Jam: दिल्ली-कोलकाता नेशनल हाईवे (NH-19) पर पिछले चार दिनों से जाम ने भयावह रूप ले लिया है। हालांकि बुधवार को जाम में कुछ राहत जरूर मिली, लेकिन अब भी करीब सात किलोमीटर लंबी लाइन में ट्रक और गाड़ियां फंसी हुई हैं। शनिवार से शुरू हुआ यह जाम अब रोहतास से लेकर औरंगाबाद जिले तक फैल चुका है। हालत यह है कि वाहनों को पांच किलोमीटर की दूरी तय करने में 24 घंटे से ज्यादा समय लग रहा है।
चालकों की हालत बदतर
जाम में फंसे ट्रक चालक प्रवीण सिंह ने बताया, “पिछले 30 घंटे में सिर्फ 7 किलोमीटर आगे बढ़ पाया हूं। टोल टैक्स और रोड टैक्स सब दे रहे हैं, लेकिन सुविधा कोई नहीं मिलती। ना NHAI के कर्मचारी दिखते हैं, ना प्रशासन के लोग।”
वहीं दिल्ली जा रहे ट्रक चालक संजय ने कहा, “दो दिन से सड़क पर फंसे हैं। खाना-पानी खत्म हो गया है। ट्रक में रखा कच्चा माल खराब होने लगा है।”
व्यवसाय और आम लोगों पर असर
इस जाम ने व्यापार को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। कच्चे खाद्य पदार्थों से भरे वाहन खराब हो रहे हैं। वहीं, एंबुलेंस और जरूरी सेवाओं के वाहन भी जाम में फंसे पड़े हैं। हाईवे पर दूर-दूर तक ट्रकों की लंबी कतारें दिख रही हैं। लोग भूखे-प्यासे जैसे सड़क पर कैद हो गए हैं।
जाम की असली वजह क्या है?
इस महाजाम की मुख्य वजह है सरकारी विभागों की लापरवाही और घटिया निर्माण कार्य। सिक्स लेन सड़क निर्माण के दौरान बनाई गई अस्थायी डायवर्जन सड़कों पर शुक्रवार को हुई भारी बारिश ने सब कुछ बिगाड़ दिया। आरोप है कि इन वैकल्पिक सड़कों में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। बारिश के बाद वहां बड़े-बड़े गड्ढे बन गए, जिनमें कीचड़ और पानी भर गया। इसी कारण गाड़ियां रेंग-रेंग कर चल रही हैं और जाम हर घंटे बढ़ता जा रहा है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
जब मीडिया ने NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रंजीत वर्मा से इस जाम पर बात करनी चाही, तो उन्होंने कैमरे पर आने से साफ इनकार कर दिया। उनकी चुप्पी से साफ है कि विभाग समस्या को हल करने से बच रहा है।
सरकारी लापरवाही की मिसाल
यह जाम सिर्फ ट्रैफिक का संकट नहीं, बल्कि सरकारी उदासीनता और भ्रष्टाचार की जिंदा मिसाल है। हजारों लोग भूखे-प्यासे हैं, ट्रक चालक परेशान हैं और करोड़ों का व्यापार ठप पड़ा है। सवाल यह है कि आखिर कब प्रशासन और NHAI इस ‘महाजाम’ से राहत दिलाने के लिए गंभीर कदम उठाएंगे?