Delhi Air Pollution: Dangerous Smog Engulfs the Capital:दिल्ली की हवा इन दिनों ज़हर बन चुकी है। चारों तरफ घनी धुंध छाई हुई है और सांस लेना मुश्किल हो गया है। हवा में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि अगर मुमकिन हो, तो कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर चले जाएं। खासकर वे लोग जो अस्थमा, सांस या फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह समय बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 301 से 400 के बीच पहुंच गया है, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। 30 अक्टूबर को तो राजधानी में इस साल का सबसे प्रदूषित दिन दर्ज किया गया।
दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना हुआ मुश्किल
पिछले 10 दिनों में अस्पतालों में सांस से जुड़ी शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं। पीएसआरआई इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन डॉ. गोपी चंद खिलनानी का कहना है कि वायु प्रदूषण के चलते वायरल या बैक्टीरियल निमोनिया के गंभीर मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को पहले से फेफड़ों या हृदय की बीमारी है, उन्हें फिलहाल दिल्ली छोड़ देनी चाहिए। अगर संभव हो, तो नवंबर और दिसंबर के अंत तक किसी कम प्रदूषित इलाके में रहें।
वायु प्रदूषण से फेफड़ों को कैसे होता है नुकसान?
डॉ. खिलनानी के अनुसार, प्रदूषण का असर हमारे फेफड़ों पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह से पड़ता है। एम्स की एक स्टडी में पाया गया कि प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के फेफड़ों की वृद्धि (lung growth) धीमी हो जाती है, और उनमें अस्थमा जैसी बीमारियों के मामले ज़्यादा होते हैं। पहले जहां 90% फेफड़ों की बीमारियां धूम्रपान से होती थीं, अब लगभग आधे मामले वायु प्रदूषण से हो रहे हैं। यहां तक कि अब 40% फेफड़ों के कैंसर ऐसे लोगों में पाए जा रहे हैं जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया।
फेफड़ों की क्षमता घटने लगी
लगातार प्रदूषित हवा में रहने से फेफड़ों की कार्यक्षमता (lung capacity) और प्रतिरोधक क्षमता (immunity) दोनों कम हो जाती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, हाल के दिनों में करीब 50% मरीज जो पहले सिर्फ दवाओं से ठीक हो जाते थे, अब उन्हें ऑक्सीजन या आईसीयू की ज़रूरत पड़ रही है।
सिर्फ फेफड़े नहीं, पूरा शरीर हो रहा है प्रभावित
वायु प्रदूषण सिर्फ सांस या फेफड़ों तक सीमित नहीं है। यह दिल, दिमाग, आंत, किडनी और हार्मोन सिस्टम को भी प्रभावित करता है। इसकी वजह से हार्ट अटैक, स्ट्रोक, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसे मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
कैसे करें खुद को सुरक्षित?
हर कोई तो शहर छोड़कर नहीं जा सकता, लेकिन जिनके पास विकल्प है। खासकर बुजुर्ग, अस्थमा या हृदय रोगी वे कम से कम कुछ हफ्तों के लिए दिल्ली से बाहर चले जाएं। जो लोग यहां रह रहे हैं, उन्हें एन95 मास्क पहनना चाहिए, घर में पौधे लगाएं, और घर के दरवाजे-खिड़कियां बंद रखें।
क्या एयर प्यूरीफायर फायदेमंद है?
डॉक्टरों का कहना है कि घर में अच्छी क्वालिटी का एयर प्यूरीफायर लगाना मददगार हो सकता है। इसे हमेशा चालू रखें और कमरे का दरवाजा बंद रखें। हालांकि WHO के अनुसार, इससे सेहत में बड़ा सुधार नहीं होता, लेकिन अस्थमा और हृदय रोगियों के लिए यह थोड़ी राहत जरूर दे सकता है।










