नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। सुगंधा नागर त्रिवेदी की कमल से लिखी गई पुस्तक ‘गुर्जरी लोक गीत’ का विमोचन इंडिया हैबिटेट सेंटर में भव्यता पूर्वक संपन्न हुआ। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद एवं राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर भी मौजूद रहे। इनके अलावा कार्यक्रम में अनेक गणमान्य अतिथियों सहित साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया।
एक ऐतिहासिक कदम
पुस्तक के विवेचन के बाद नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा कि, यह आयोजन केवल एक पुस्तक विमोचन भर नहीं था, बल्कि भारत की समृद्ध लोकसंस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम भी था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संपूर्ण राष्ट्र अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व कर रहा है और सरकार इसके संरक्षण हेतु सतत प्रयासरत है। ‘गुर्जरी लोक गीत“ पुस्तक का विमोचन प्रधानमंत्री मोदी की इसी विचारधारा को बल प्रदान करने का एक छोटा सा प्रयास है।
सुगंधा नागर त्रिवेदी को शुभकामनाएं दी
नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने सुगंधा नागर त्रिवेदी को शुभकामनाएं देते हुए कहा, आज के समय में लोकगीतों का स्थान आधुनिक गीतों ने ले लिया है, जिससे हमारी समृद्ध विरासत लुप्त होने के कगार पर है। ऐसे में यह पुस्तक गुर्जरी लोक संस्कृति को सहेजने का महत्वपूर्ण कार्य करेगी। लोकगीत केवल मनोरंजन ही नहीं है बल्कि जिस प्रकार शरीर के लिए भोजन आवश्यक है उसी प्रकार ये लोकगीत हमारी रूह के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने इस उपलब्धि को ‘जमच’ करार देते हुए कुछ लोकगीतों को गुनगुनाया, जिससे उपस्थित श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे।
यह पुस्तक एक सराहनीय पहल
राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र सिंह नागर ने इस अवसर पर लेखिका सुगंधा नागर त्रिवेदी को बधाई देते हुए कहा, ‘यह पुस्तक गुर्जरी लोक परंपरा को संजोने और नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने का एक प्रभावी प्रयास है। 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मातृभाषा और लोक संस्कृति को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया है। ऐसे में यह पुस्तक एक सराहनीय पहल है। हमारे लोकगीतों का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। उसे पुस्तक के माध्यम से समाज के बीच लाना एक बहुत बड़ी उपलब्धी है। सुगंधा का संकलन ’गुर्जरी लोक गीत’ से हम सभी गौरवांवित हैं। इस पुस्तक से अपनी संस्कति और लोकगीत का संरक्षण संभव हो सका है।
ये मेरा छोटा सा प्रयास है ताकि
लेखिका सुगंधा नागर त्रिवेदी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75वें स्वतंत्रता दिवस पर हमें अपनी विरासत और संस्कृति पर गर्व करने का संकल्प दिलाया था। उसी प्रण को आत्मसात करते हुए ये मेरा छोटा सा प्रयास है ताकि समाज का हर वर्ग अपनी लोक परंपरा से जुड़ा रह सके। यह पुस्तक गुर्जर समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी और आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का सशक्त माध्यम बनेगी।
लोकगीतों की विशेष प्रस्तुति
कार्यक्रम में महिलाओं द्वारा लोकगीतों की विशेष प्रस्तुति भी दी गई, जिसने समां बांध दिया। कालाकारों ने लोकगीत गुनुगनाए और सैकड़ों वर्ष प्राचीन संस्कृति को उकेरा। गीत और नृत्य को देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए। अक्षय रावत ने लोकगीतों को जीवन का अभिन्न अंग बताते हुए धन्यवाद ज्ञापन दिया।