Chandni Chowk History and Heritage Market : दिल्ली सिर्फ देश की राजधानी ही नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह है जहां इतिहास, संस्कृति और रंगीन बाजारों का अनोखा मेल देखने को मिलता है। जब बात दिल्ली की होती है, तो चांदनी चौक का नाम सबसे पहले ज़ुबान पर आता है। यह जगह सिर्फ बाजार नहीं बल्कि पुरानी दिल्ली की रूह मानी जाती है। शादी-ब्याह की खरीदारी हो या पारंपरिक कपड़े, गहने या मिठाइयां यहां सब कुछ मिलता है।
कैसे बना ये मशहूर बाजार?
चांदनी चौक की नींव 1650 के दशक में पड़ी थी। इसे मुग़ल सम्राट शाहजहां ने बनवाया था, जब उन्होंने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली शिफ्ट की थी। शाहजहां ने एक नया शहर बसाया शाहजहानाबाद, और उसी शहर में उन्होंने लाल किला बनवाया। ठीक इसी किले के सामने बना ये खास बाजार चांदनी चौक।
एक बेटी के शौक से शुरू हुआ चांदनी चौक
इस बाज़ार के बनने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। शाहजहां की बेटी जहानआरा बेगम को खरीदारी का बहुत शौक था। उन्हें अलग-अलग चीजें इकट्ठा करने और घूमकर खरीदारी करने का शौक था। जब शाहजहां को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने अपनी बेटी के लिए एक खास बाजार बनवाने का फैसला किया।जहानआरा ने खुद इस बाजार का नक्शा तैयार करवाया और उसके डिज़ाइन में हिस्सा लिया। इसी वजह से कहा जाता है कि चांदनी चौक एक शाही बेटी के शौक का खूबसूरत नतीजा है।
क्यों रखा गया नाम ‘चांदनी चौक’?
अब सवाल उठता है कि इस बाजार को ‘चांदनी चौक’ नाम क्यों दिया गया? इसके पीछे भी एक बेहद खूबसूरत वजह है। जब बाजार तैयार किया गया, तब इसका आकार अर्धचंद्राकार (आधे चांद जैसा) था। इसके बीचोंबीच एक साफ-सुथरी नहर और तालाब भी बनाए गए थे।जब रात को चांद की रोशनी इन नहरों और पानी पर पड़ती थी, तो सारा इलाका चांदनी से चमक उठता था। इसी नज़ारे की वजह से इसका नाम चांदनी चौक पड़ गया।
आज भी है उतना ही खास
आज भी चांदनी चौक दिल्ली आने वालों की पहली पसंद है। यहां का खाना, कपड़े, ज्वेलरी और ऐतिहासिक इमारतें हर किसी को अपनी तरफ खींचती हैं। यह बाजार आज भी दिल्ली की उस पुरानी रौनक को संभाले हुए है, जो किसी ज़माने में मुग़लों के दौर में बसी थी।