सड़कें बनीं खतरे का मैदान, 5 लाख आवारा कुत्ते, 37 लाख डॉग बाइट, बढ़ रहा रेबीज का कहर!

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आवारा कुत्तों के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए निर्देश दिया कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में मौजूद सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों के भीतर शेल्टर होम्स में भेजा जाए। वहां उनका टीकाकरण और नसबंदी की जाएगी। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इन कुत्तों को दोबारा सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा।

Supreme Court on Stray Dogs

Supreme Court on Stray Dogs : वर्ष 2024 में देशभर में 37 लाख से अधिक डॉग बाइट (कुत्ते के काटने) के मामले दर्ज किए गए हैं, जो कि एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करता है। राजधानी दिल्ली में तो स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां 2023 की तुलना में इस वर्ष डॉग बाइट के मामलों में 143 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह बढ़ता खतरा रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी का भी संकेत है, जो कुत्ते के काटने से फैलती है और समय पर उपचार न मिलने पर 100% घातक होती है। वर्ष 2024 में देश में रेबीज से 54 लोगों की मौत हो चुकी है।

प्रशासनिक लापरवाही उजागर

हालांकि केंद्र सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control) नियम 2023 लागू किए हैं, जिनके तहत आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण अनिवार्य किया गया है, लेकिन दिल्ली में लगभग 10 लाख आवारा कुत्तों में से आधे से भी कम की नसबंदी हो पाई है। इससे साफ जाहिर होता है कि जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में प्रशासनिक प्रयास नाकाफी रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम आदेश जारी किया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सभी आवारा कुत्तों को अगले 8 हफ्तों के भीतर शेल्टर होम में स्थानांतरित किया जाए। इन शेल्टर होम्स में कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया जाएगा, और इसके बाद उन्हें सड़कों पर वापस नहीं छोड़ा जाएगा।

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कोर्ट ने दिए दिशा निर्देश

यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश न सिर्फ मानव जीवन की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, बल्कि पशु कल्याण के मानकों को भी बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह वक्त है कि प्रशासन और समाज मिलकर इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित करें।

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