गोवा के अर्पोरा स्थित ‘Birch by Romeo Lane’ नाइट क्लब में आगजनी में 25 लोगों की मौत के बाद शुरुआती जांच में सामने आया कि क्लब में अग्नि सुरक्षा मानकों का उल्लंघन, फायर एनओसी की कमी, आपातकालीन निकास का अव्यवस्थित होना और इलेक्ट्रिक फायरक्रैकर्स–समान इफेक्ट्स ने हादसे की भयावहता बढ़ाई।
इस घटना के बाद देशभर के टूरिस्ट और पार्टी डेस्टिनेशन राज्यों से नाइटलाइफ़ स्थलों की सुरक्षा कड़ी करने की मांग उठी, जिसके तहत दिल्ली के आबकारी विभाग ने भी लाइसेंस प्राप्त होटल–क्लब–बार के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं।
दिल्ली के आदेश में क्या–क्या प्रावधान हैं?
दिल्ली आबकारी विभाग के 10 दिसंबर 2025 के आदेश के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं।
पटाखों पर पूर्ण पाबंदी
सभी क्लब, होटल, बार, रेस्टोरेंट और रेस्टो–पब में किसी भी प्रकार के पटाखे, including electric firecrackers/electric pyros के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है।
यह प्रतिबंध इंडोर और आउटडोर दोनों एरिया (डांस फ्लोर, रूफटॉप, लॉन, एंट्री ज़ोन आदि) पर लागू होगा।
फायर NOC और सुरक्षा मानक अनिवार्य
सभी HCR (Hotel–Club–Restaurant) लाइसेंस धारकों को वैध Fire NOC रखना और उसे प्रिमाइसेज़ पर प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है।
फायर अलार्म, स्प्रिंकलर, हाइड्रेंट, आपातकालीन निकास (Emergency Exit), फायर–एग्ज़िट साइनेज और इमरजेंसी लाइटिंग को पूरी तरह कार्यशील रखने की जिम्मेदारी मालिक/प्रबंधन की होगी; किसी भी खराब या बंद सिस्टम को “गंभीर चूक” माना जाएगा।
लाइसेंस रद्द या निलंबन की चेतावनी
आदेश में साफ लिखा है कि पटाखों के इस्तेमाल या फायर–सेफ्टी नियमों के उल्लंघन की स्थिति में दिल्ली आबकारी अधिनियम 2009 और दिल्ली आबकारी नियम 2010 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें लाइसेंस का suspension या cancellation भी शामिल है।
इसके अलावा, ऐसे मामलों में पुलिस और फायर सर्विस के माध्यम से IPC, आपदा प्रबंधन कानून और अन्य दंडात्मक प्रावधान भी लागू किए जा सकते हैं।
क्रिसमस–न्यू ईयर पार्टियों के लिए क्या बदल जाएगा?
इस आदेश का सीधा असर दिसंबर के आखिरी दो हफ्तों में होने वाली भीड़भाड़ वाली पार्टियों और ईवेंट्स पर पड़ेगा।
क्लब–बार अब किसी भी तरह के पटाखा शो, स्पार्कलर, इनडोर फायरवर्क, कोल्ड पायरो या इसी तरह की इफेक्ट लाइट्स/साउंड जो फायरक्रैकर्स की कैटेगरी में आते हैं, नहीं चला सकेंगे।
आयोजकों को भीड़ प्रबंधन, निकास मार्ग साफ रखने, ओवरक्राउडिंग न होने देने और इमरजेंसी प्लान तैयार रखने की जिम्मेदारी दी गई है; गोवा हादसे में जिस तरह मुख्य निकास के आसपास ही डेकोरेशन और ज्वलनशील सामग्री थी, उसे एक “क्लासिक गलती” के तौर पर केस स्टडी की तरह लिया जा रहा है।
दिल्ली सरकार पहले से ही प्रदूषण के मद्देनज़र पटाखों के उत्पादन–भंडारण–बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लागू कर चुकी है; नए आदेश ने खासतौर पर नाइटलाइफ़ और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के लिए सुरक्षा–केंद्रित पाबंदियों को और स्पष्ट कर दिया है, ताकि गोवा जैसी त्रासदी दोहराई न जाए।



