कार चोर गिरोह का पर्दाफाश, इस तरह लोगों को बनाते थे बेवकूफ, जानकर पुलिस भी रह गई हैरान 

Delhi Police Crime Branch

Delhi Police Crime Branch

Delhi Police Crime Branch: दिल्ली से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने 20 महंगी लग्जरी गाड़ियों को बरामद करते हुए 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने 2 बड़े कार चोर सिंडिकेट का खुलासा करते हुए 20 लग्जरी गाड़ियों को बरामद किया है। दोनों गैंग अलग अलग काम कर रहे थे। ये ऑटोलिफ्टर गैंग बड़े शातिराना तरीके से चोरी की गाड़ियों को बेचते थे, जिसका कार पोर्टल पर बैठे लोगों को भी शक नही हुआ और ये कार पोर्टल के लोगों को अपने झांसे में लेकर बेचते चले गए। मामले में अब तक 13 आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, क्राइम ब्रांच की टीम को 2 चोरी की गाड़ियों की सूचना मिली थी। एक अमर कॉलोनी और दूसरी शाहाबाद डेयरी इलाके से चोरी हुई थी जिनकी पड़ताल करने के बाद अनवर कुरेशी नाम का ऑटिलिफ्टर पुलिस के हत्थे चढ़ गया। अनवर की पड़ताल करने के बाद उसके फोन से 20 बैंक खाते ऐसे मिले जिसमें पुलिस को शक हुआ तो कहानी कुछ अलग ही मिली। अनवर ने खुलासा किया कि चोरी की गाड़ियों को कार पोर्टल पर जिनमें CAR dekho और कार 24 पोर्टल जैसे कई पोर्टल हैं जिन्हे वो चोरी की गाड़ियां बेचते थे।

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इस तरीके से गैंग करता था कार चोरी

बता दें कि, यह गैंग ऑनलाइन में ओपन सोर्स एप से उन गाड़ी का डेटा हासिल करते थे और फिर उनके मालिक का पता लगा लेते थे। जब गाड़ी का मालिक और चेसिस नंबर मिल जाता था, तो फिर एक सिमकार्ड लेकर उस मालिक का नाम और एड्रेस लेकर कार देखो पोर्टल पर गाड़ी को बेचने की डिमांड करते हैं कार पोर्टल के लोगों को चकमा देने के लिए सभी फर्जी कागज तैयार भी रखते थे। इसके अलावा गाड़ी के असली मालिक के नाम में अपनी फोटो लगाकर धोखाधड़ी शुरू कर देते थे।

पुलिस पूरे नेटवर्क की कर रही तलाश

गैंग की कारस्तानी को कार खरीदने और बेचने वाले पोर्टल भी पता नही लगा सके। इन पोर्टल के जो अधिकारी या कर्मचारी गाड़ी खरीदने के लिए इनके पास कार को जांचने पहुंचते थे तो उन्हें सभी कागज और पहचान की पुष्टि मिल जाती थी, जिसके बाद वो इन लोगों से गाड़ी खरीद लेते थे। इस गैंग में (कार देखो) और कुछ पोर्टल के लोग भी शामिल थे, जिनकी मदद से ये गैंग ऑपरेट कर रहा था। कार खरीद फरोख्त के पूर्व कर्मचारियों की बड़ी मिलीभगत थी जो गाड़ियों के डेटा से लेकर चेसिस नंबर तक बड़ी चालाकी से बदल लेते थे और किसी भी ओरिजनल कार के मालिक बनकर उसके फर्जी दस्तावेजों के साथ पेश होते थे। फिलहाल क्राइम ब्रांच की टीम अभी इस पूरे नेटवर्क के लोगों की तलाश कर रही हैं।

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