Delhi School Education Fee Regulation Act 2025: दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी फीस पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली स्कूल एजुकेशन (ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस) एक्ट, 2025 नोटिफाई कर दिया है। अब राजधानी के सभी निजी मान्यता प्राप्त स्कूल बिना तय प्रक्रिया और सरकारी अनुमति के फीस नहीं बढ़ा पाएंगे, जिससे अभिभावकों को बड़ी राहत और उनके अधिकारों को कानूनी सुरक्षा मिलेगी।
नया कानून क्या कहता है?
यह एक्ट अब दिल्ली के लगभग 1,700 निजी (अनएडेड) स्कूलों पर लागू होगा, जबकि 1973 के पुराने कानून का दायरा करीब 300 स्कूलों तक सीमित था।
कोई भी स्कूल इस एक्ट के तहत तय/स्वीकृत फीस से ज़्यादा शुल्क नहीं ले सकेगा; अतिरिक्त फीस वसूली पर 1 लाख से 10 लाख रुपये तक जुर्माना और जरूरत पड़ने पर मान्यता रद्द या मैनेजमेंट टेकओवर तक की कार्रवाई का प्रावधान है।
स्कूलों को हर साल प्रस्तावित फीस संरचना समय–सीमा में ऑनलाइन अपलोड करनी होगी और उसे अभिभावकों व शिक्षा विभाग के सामने पारदर्शी तरीके से डिस्क्लोज करना होगा।
फीस तय करने की नई व्यवस्था
कानून तीन-स्तरीय (3-tier) फीस रेगुलेशन फ्रेमवर्क बनाता है।
स्कूल‑लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी (SLFRC)
हर स्कूल में प्रबंधन प्रतिनिधि की अध्यक्षता में एक कमेटी बनेगी, जिसमें प्रिंसिपल (सचिव), तीन शिक्षक और लॉटरी से चुने गए पाँच अभिभावक प्रतिनिधि होंगे; शिक्षा निदेशालय (DoE) का एक प्रतिनिधि ऑब्जर्वर रहेगा।
यह कमेटी हर शैक्षणिक सत्र के लिए प्रस्तावित फीस पर चर्चा कर अधिकतम 10–15% तक वाजिब वृद्धि को मंजूरी दे सकती है, बशर्ते स्कूल अपने खर्च, वेतन, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि का ऑडिटेड डेटा दे।
जोनल/जिला फीस अपीलेट कमेटी
यदि अभिभावकों को स्कूल स्तर पर निर्णय पर आपत्ति हो और कम से कम 15% अभिभावक लिखित रूप से शिकायत करें, तो मामला जिला/जोनल फीस अपीलेट कमेटी के पास जाएगा, जिसकी अध्यक्षता डिप्टी डायरेक्टर एजुकेशन करेंगे।
स्टेट/रिविजन कमेटी
जटिल या विवादित मामलों में अंतिम अपील राज्य स्तर की रिविजन कमेटी के पास होगी, जिसका निर्णय तीन साल तक मान्य रहेगा।
अभिभावकों के अधिकार और राहत
कोई स्कूल बिना अनुमोदन फीस नहीं बढ़ा सकता, न ही अतिरिक्त “डेवलपमेंट चार्ज”, “एडमिशन किट”, अनिवार्य यूनिफॉर्म–बुक्स किसी विशेष वेंडर से खरीदने के लिए मजबूर कर सकता है। ऐसी जबरन वसूली Act का उल्लंघन मानी जाएगी।
यदि किसी स्कूल ने अवैध रूप से अतिरिक्त फीस ली हो, तो उसे निर्धारित समय सीमा में पैसा लौटाना होगा; समय पर रिफंड न करने पर जुर्माना दोगुना, फिर तिगुना होता जाएगा।
स्कूल अब किसी छात्र का रिजल्ट रोकने, नाम काटने या ट्रांसफर सर्टिफिकेट देने से मना करने जैसे दबाव के हथियार का इस्तेमाल नहीं कर सकते; कानून इसे स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित करता है।
सरकार का दावा है कि इस एक्ट से “मनमानी फीस वृद्धि, प्रॉफिटियरिंग और अभिभावकों के शोषण” पर रोक लगेगी, जबकि स्कूल मैनेजमेंट्स का कहना है कि उन्हें इंफ्रास्ट्रक्चर और गुणवत्ता सुधार के लिए पर्याप्त आर्थिक स्वतंत्रता भी चाहिए; आगे संतुलन असल में नियमों के क्रियान्वयन पर निर्भर करेगा।
