Delhi Election 2025: दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पटपड़गंज विधानसभा सीट, जो अब तक आम आदमी पार्टी (आप) का मजबूत गढ़ मानी जाती थी, इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खाते में चली गई। इस सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अवध ओझा को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन उनकी हार से ज्यादा चर्चा उनके बयान की हो रही है, जो राजनीति में नई मिसाल बन गई है।
अवध ओझा का बयान बना चर्चा का विषय
अवध ओझा, जिन्हें लोग ‘ओझा सर’ के नाम से भी जानते हैं, एक मशहूर शिक्षक हैं और सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं। उन्होंने इस बार चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। हार के बाद आमतौर पर नेता या तो आरोप-प्रत्यारोप करते हैं या अपनी हार का कारण गिनाते हैं। लेकिन अवध ओझा ने ऐसा कुछ नहीं किया। उन्होंने बड़ी ही शालीनता से कहा, मैं जनता का धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने मुझे समर्थन दिया। यह सिर्फ एक औपचारिक बयान नहीं था, बल्कि उनके लोकतंत्र के प्रति गहरे सम्मान को दिखाता था। राजनीति में ऐसा कम ही देखने को मिलता है, जब कोई उम्मीदवार हार के बाद इस तरह की शालीनता दिखाए।
पटपड़गंज में बदलाव क्यों आया
पटपड़गंज सीट आम आदमी पार्टी का मजबूत गढ़ मानी जाती थी। मनीष सिसोदिया यहां से लगातार चुनाव जीतते आए थे, लेकिन इस बार तस्वीर बदल गई। भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल कर ली। इस बदलाव के पीछे कई कारण हो सकते हैं स्थानीय मुद्दे,मतदाताओं की प्राथमिकताएं बदली हैं। नई रणनीति,भाजपा ने इस सीट पर ज्यादा मेहनत की और लोगों तक अपनी बात पहुंचाई।अवध ओझा का नया चेहरा होना, पहली बार चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
राजनीति में नई सोच की जरूरत
अवध ओझा ने यह दिखाया कि राजनीति सिर्फ जीत-हार तक सीमित नहीं होनी चाहिए। लोकतंत्र में जनता का फैसला सर्वोपरि होता है, और एक सच्चे नेता को इसे स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने अपनी हार को नकारात्मक रूप से नहीं लिया, बल्कि इसे एक सीख के रूप में देखा। उनका यह नजरिया नई राजनीति की तरफ इशारा करता है। जहां चुनाव सिर्फ सत्ता पाने का खेल न हो, बल्कि जनता की सेवा करने का जरिया बने। राजनीति में अगर ऐसी सकारात्मक सोच बढ़े, तो लोकतंत्र और मजबूत होगा।