Delhi News : दिल्ली सरकार ने मौजूदा इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) नीति को 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया है। यह फैसला मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने इस फैसले से पहले ‘एंड-ऑफ-लाइफ’ वाहनों को लेकर इनोवेशन चैलेंज के सिलसिले में DPCC (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति) के अधिकारियों के साथ बैठक की थी।
ट्रांसपोर्ट मंत्री पंकज सिंह ने जानकारी दी कि नई EV नीति का मसौदा अभी तैयार किया जा रहा है, जिसे आम जनता और विशेषज्ञों के साथ साझा कर चर्चा की जाएगी। चूंकि इस प्रक्रिया में वक्त लगेगा, इसलिए फिलहाल पुरानी नीति को ही आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
2020 में लागू हुई थी EV पॉलिसी
गौरतलब है कि दिल्ली की पहली EV नीति आम आदमी पार्टी सरकार ने साल 2020 में लागू की थी, जिसकी मियाद अगस्त 2023 में खत्म हो गई थी। इसके बाद से इसे अंतरिम रूप से कई बार आगे बढ़ाया जा चुका है। अब यह नीति तब तक प्रभावी रहेगी, जब तक नई नीति को औपचारिक रूप से लागू नहीं किया जाता।
मंत्री पंकज सिंह ने बताया कि इस अवधि में सरकार विभिन्न पक्षों—जैसे आम नागरिक, इंडस्ट्री विशेषज्ञ, निजी संगठन और पर्यावरण से जुड़े समूहों से—विस्तृत बातचीत करेगी। चर्चा के अहम बिंदुओं में EV चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार, सब्सिडी और टैक्स छूट की समीक्षा, ई-वेस्ट और बैटरी निपटान के लिए सुरक्षित तंत्र विकसित करना और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका तय करना शामिल होगा।
क्या है दिल्ली की EV पॉलिसी?
इस नीति का मूल उद्देश्य दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करना है, विशेषकर सार्वजनिक परिवहन और वाणिज्यिक वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलना। पुरानी और अधिक प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा, जिससे वायु प्रदूषण में कमी लाई जा सके और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता घटे। नीति के तहत अगले चरण में पेट्रोल से चलने वाले टू-व्हीलरों की संख्या सीमित की जाएगी।
यह भी पढ़ें : छांगुर के बाद पकड़ा गया सरोगेट मदर गैंग का सरगना, लड़कियों का करते…
सीएनजी ऑटो को इलेक्ट्रिक ऑटो से रिप्लेस किया जाएगा। साथ ही, ई-साइकिल, ई-रिक्शा, ई-कार्ट, टू-व्हीलर और हल्के कमर्शियल वाहनों के लिए सब्सिडी व अन्य आर्थिक प्रोत्साहन दिए जाएंगे। चार्जिंग स्टेशनों और बैटरी स्वैपिंग प्वाइंट्स की संख्या बढ़ाने पर भी जोर रहेगा, ताकि EV अपनाने वालों को बुनियादी सुविधाएं सहज रूप से मिल सकें। यह नीति न केवल दिल्ली के परिवेश को स्वच्छ बनाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि इसे देश की EV क्रांति का नेतृत्व देने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।