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हिन्दू धर्म से छेडछाड नहीं, फिल्म 'काली' के पोस्टर से हुआ विवाद

हिन्दू धर्म से छेडछाड नहीं, फिल्म ‘काली’ के पोस्टर से हुआ विवाद

ये भारत है। और यहाँ के रहने वाले धार्मिक रीती- रिवाजो का पूरा पालन करते है।सभी मान्यताओं को मानते है.तो जाहिर सी बात है लोग अपनी संस्कृति के साथ छेड़छाड़ बिलकुल भी बर्दाश नहीं करेंगे। ऐसा ही नया केस हम आपको बताने जा रहे है।जिसने हिन्दू लोगो को आहात किया है।

हिंदू देवी काली

दिल्ली की अदालत ने फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलाई को उनकी फिल्म ‘काली’ के पोस्टर में हिंदू देवी काली के विवादास्पद चित्रण के खिलाफ दायर एक मुकदमे में नया समन जारी किया है। तीस हजारी अदालत के सिविल जज अभिषेक कुमार ने 29 अगस्त के एक आदेश में वादी अधिवक्ता राज गौरव की दलीलों को नोट किया, जिसमें कहा गया था कि पिछली तारीख को उनके द्वारा दायर एक आवेदन निर्णय के लिए लंबित है।वकील ने मणिमेकलाई और अन्य लोगो को ई-मेल के साथ-साथ व्हाट्सएप के माध्यम से नोटिस देने की भी मांग की।

देवी काली को धूम्रपान करते हुए

इस मामले में सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने आदेश दिया, “प्रस्तुतियों के मद्देनजर, ई-मेल के साथ-साथ व्हाट्सएप सेवा के माध्यम सहित सभी तरीकों से नए सिरे से समन जारी किया जाए।” मामले की अगली सुनवाई एक नवंबर को होगी। इससे पहले जुलाई में कोर्ट ने मणिमेकलाई को समन जारी किया था।तो चलिए अब आपको बताते है कि मणिमेकलाई की इस फिम के पोस्टर पर केज क्यों दर्ज हुआ। इसके बारे में अधिवक्ता राज गौरव द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि फिल्म के पोस्टर में देवी काली को धूम्रपान करते हुए दिखाया गया है, जो न केवल आम हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को कष्ट पंहुचा रहा है, बल्कि ये नैतिकता और शालीनता की मूल बातों के भी खिलाफ है। फिल्म निर्माता के अलावा, उनकी कंपनी टूरिंग टॉकीज मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को भी नोटिस और समन जारी किए गए थे।

पूजा करने का अपना अनूठा तरीका

फिल्म के पोस्टर को लेकर विवाद तब और ज्यादा बढ़ गया जब तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि उन्हें एक व्यक्ति के रूप में काली देवी को मांस खाने वाली और शराब स्वीकार करने वाली देवी के रूप में कल्पना करने का पूरा अधिकार है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के पास पूजा करने का अपना अनूठा तरीका होता है। मन तरीका होता है पर हिन्दू लोग कभी भी अपने भगवान से संबधित कुछ गलत नहीं सहेंगे।

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