केजरीवाल के घर के बाहर लगा इमामों का जमघट, बोले – वेतन नहीं मिला तो धरने पर बैठ जाएंगे

इमामों ने कहा कि हम अरविंद केजरीवाल से यह सवाल करना चाहते हैं कि उनकी सरकार हमें वेतन क्यों नहीं दे रही है। हमें हमेशा सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है, लेकिन वेतन को लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें यह चाहिए कि वह आकर स्पष्ट रूप से बताएं कि हमारी सैलरी क्यों नहीं दी जा रही है।

Kejriwal Delhi Imam Protest

Kejriwal Delhi Imam Protest : दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों के माहौल में सोमवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड के इमामों ने वेतन मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इमामों ने आरोप लगाया कि उन्हें पिछले 18 महीनों से वेतन नहीं मिला, लेकिन केजरीवाल इस समस्या पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।

वक्फ बोर्ड के इमामों का आरोप

ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रसीदी ने कहा, “17 महीने हो गए हैं और हमें वेतन नहीं दिया गया है। हम पिछले 6 महीनों से इस मुद्दे को लेकर आवाज उठा रहे हैं। हम मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल और सभी अधिकारियों से मिल चुके हैं, लेकिन कोई हल नहीं निकला है। इसीलिए आज हम यहां पहुंचे हैं। अगर हमें अभी भी जवाब नहीं मिला, तो हम यहीं धरने पर बैठेंगे और तब तक नहीं उठेंगे जब तक हमारी सैलरी नहीं मिल जाती।”

इमामों ने पूछा- ‘केजरीवाल हमें वेतन क्यों नहीं दे रहे?’

रसीदी ने कहा कि वे चाहते हैं कि केजरीवाल खुद आकर बताएं कि उनकी सरकार इमामों को वेतन क्यों नहीं दे रही है। “हम हमेशा आश्वासन ही पा रहे हैं, लेकिन अब तक वेतन देने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। हम चाहते हैं कि वह स्पष्ट रूप से बताएं कि हमारी सैलरी क्यों नहीं दी जा रही है।”

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इससे पहले भी इमामों ने केजरीवाल से मुलाकात करने की कोशिश की थी। कुछ दिन पहले इमामों ने ‘आज तक’ से बात करते हुए कहा था, “हमें राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। हम यहां सिर्फ इसलिए आए हैं क्योंकि दिल्ली के इमामों और मुअज्जिनों को पिछले 17 महीनों से वेतन नहीं मिला है।” उनका यह भी कहना था कि वे वक्फ बोर्ड से अपने लंबित वेतन की मांग कर रहे हैं।

मौलाना साजिद ने क्या कहा ?

मौलाना साजिद रसीदी ने कहा कि उनके अनुसार करीब 250 इमाम इस वेतन संकट से जूझ रहे हैं, और प्रत्येक इमाम को महज 18,000 रुपये प्रति माह मिलते हैं। पिछले 17 महीनों से उनका वेतन लंबित पड़ा है।

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