Indian Railways Ticket Rule Update: रेल यात्रा करने वालों के लिए रेलवे ने एक अहम नया नियम लागू किया है। यह नियम खासतौर पर अनारक्षित टिकट लेकर सफर करने वाले यात्रियों से जुड़ा है। अब UTS ऐप, ATVM मशीन या काउंटर से जारी अनारक्षित टिकट को सिर्फ मोबाइल स्क्रीन पर दिखाना काफी नहीं होगा। यात्रियों को टिकट की भौतिक यानी प्रिंटेड कॉपी अपने साथ रखना अनिवार्य होगा। रेलवे का कहना है कि यह फैसला यात्रियों की सुरक्षा और फर्जीवाड़े को रोकने के लिए लिया गया है।
दरअसल, तकनीक जितनी तेजी से आगे बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से उसके गलत इस्तेमाल के मामले भी सामने आ रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI अब केवल सुविधा का जरिया नहीं रह गया है, बल्कि इससे धोखाधड़ी भी होने लगी है। हाल ही में रेलवे के सामने AI की मदद से बनाए गए फर्जी टिकट का एक गंभीर मामला आया, जिसके बाद पूरे सिस्टम को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गई है।
यह मामला जयपुर रूट पर सामने आया, जब कुछ छात्र ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। जांच के दौरान उन्होंने टीसी को मोबाइल में टिकट दिखाया। पहली नजर में टिकट बिल्कुल असली लग रहा था। उसमें क्यूआर कोड, यात्रा की तारीख, स्टेशन और किराया सब कुछ सही दिख रहा था। लेकिन जब टीसी को शक हुआ और उसने गहराई से जांच की, तो सच्चाई सामने आ गई।
जांच में पता चला कि छात्रों ने एक ही अनारक्षित टिकट को AI टूल की मदद से एडिट कर लिया था। उस टिकट में एक यात्री की जगह सात यात्रियों के नाम दिखाए गए थे। यानी एक टिकट पर सात लोग सफर कर रहे थे। यह सामने आते ही रेलवे अधिकारियों में हड़कंप मच गया।
इस घटना के बाद रेलवे तुरंत अलर्ट मोड में आ गया। झांसी-ग्वालियर मंडल समेत मध्य प्रदेश और देश के अन्य सभी मंडलों को सतर्क कर दिया गया है। अब टीटीई और टीसी के मोबाइल और टैबलेट में विशेष टीटीई ऐप अनिवार्य रूप से इंस्टॉल किया जा रहा है, ताकि टिकट की डिजिटल जांच मौके पर ही की जा सके।
रेलवे ने साफ निर्देश दिए हैं कि अगर किसी टिकट पर शक हो, तो उसका क्यूआर कोड स्कैन किया जाएगा। साथ ही UTS नंबर और कलर कोड की भी जांच होगी। इससे यह तुरंत पता चल सकेगा कि टिकट असली है या उसमें डिजिटल छेड़छाड़ की गई है।
रेलवे अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि UTS, ATVM या काउंटर से जारी अनारक्षित टिकट (ई-टिकट और एम-टिकट को छोड़कर) अब सिर्फ मोबाइल में दिखाने से मान्य नहीं होंगे। यात्रियों को टिकट की हार्ड कॉपी अपने पास रखनी होगी।
रेलवे को यह भी आशंका है कि आने वाले समय में टिकट दलाल भी AI जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी वजह से जांच प्रक्रिया को और मजबूत किया जा रहा है, ताकि किसी भी तरह की धोखाधड़ी को शुरुआती स्तर पर ही रोका जा सके।
