NMC Action Doctors Deregistered:राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने दिल्ली आतंकी हमले से जुड़े एक बड़े कदम के तहत चार डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। इन डॉक्टरों के नाम हैं—डॉ. मुजफ्फर अहमद, डॉ. अदील अहमद राठर, डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन सईद। इन सभी पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
एनएमसी के आदेश के मुताबिक, अगली सूचना तक इन डॉक्टरों को किसी भी अस्पताल, संस्था या मेडिकल सेटअप में काम करने की अनुमति नहीं होगी। यानी वे न तो चिकित्सा सेवा दे सकेंगे और न ही किसी प्रकार की नियुक्ति पा सकेंगे।
एफआईआर में दर्ज आरोपों के आधार पर कार्रवाई
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा जारी सार्वजनिक नोटिस में बताया गया कि जांच एजेंसियों ने दिल्ली धमाके मामले में जुटाए गए सबूतों में इन डॉक्टरों की कथित संलिप्तता पाई है। जम्मू-कश्मीर चिकित्सा परिषद के रिकॉर्ड में इन डॉक्टरों का पंजीकरण था, लेकिन वहीं से मिली जानकारी के अनुसार, जांच में सामने आए आरोप बेहद गंभीर पाए गए।
नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया है कि डॉक्टरों का यह व्यवहार उस नैतिक आचरण के बिल्कुल खिलाफ है, जिसकी अपेक्षा चिकित्सा पेशे से की जाती है। चिकित्सा पेशा सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि जनता के भरोसे पर आधारित होता है। ऐसे में किसी भी आपराधिक या असंवैधानिक गतिविधि के आरोप सामने आने पर कार्रवाई जरूरी है।
भारतीय चिकित्सा परिषद के “व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता” विनियम, 2002 के तहत इस मामले में कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
जम्मू-कश्मीर चिकित्सा परिषद ने भी लिया बड़ा फैसला
नोटिस में यह साफ कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर चिकित्सा परिषद ने भी इन चारों डॉक्टरों का पंजीकरण रद्द कर दिया है। परिषद ने आदेश दिया है कि इनके नाम स्थायी रूप से चिकित्सकों के रजिस्टर से हटा दिए जाएं। यह निर्णय सभी राज्य चिकित्सा परिषदों को भी भेज दिया गया है, ताकि कहीं भी इन डॉक्टरों को चिकित्सा कार्य की अनुमति न मिल सके।
गिरफ्तार किए जा चुके हैं तीन डॉक्टर
एएनआई के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने पहले ही तीन डॉक्टर—अदील अहमद राठर, मुजम्मिल शकील और शाहीन सईद—को गिरफ्तार कर लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, उनके नाम पहले भी कुछ आतंकी गतिविधियों में सामने आ चुके थे, जिसके बाद जांच एजेंसियों ने पूछताछ तेज की।
मामले की जांच अभी जारी है और आगे भी कई खुलासे हो सकते हैं। एनएमसी ने साफ कर दिया है कि जब तक केस पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो जाता, तब तक पंजीकरण बहाल नहीं किया जाएगा।





