Delhi News : आम आदमी पार्टी (AAP) ने हाल ही में दिल्ली की सड़कों को गड्ढा-मुक्त बनाने की मुहिम शुरू की है, जिसके तहत सीएम आतिशी ने विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया। इस पहल के अंतर्गत, सरकार ने सड़कों की मरम्मत के लिए विशेष कार्य योजना तैयार की है, ताकि दिवाली तक सभी गड्ढों को भरा जा सके।
सीएम आतिशी ने कहा कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि दिल्ली की सड़कों की स्थिति में सुधार हो और नागरिकों को यात्रा करते समय कोई परेशानी न हो। इस दौरान उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि लोग इस त्योहार के मौसम में सुरक्षित और आरामदायक यात्रा कर सकें।”
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की मंत्री आतिशी ने हाल ही में एक घोषणा की, जिसमें उन्होंने कहा कि इस साल दिवाली से पहले दिल्ली की सभी सड़कों को गड्ढा-मुक्त किया जाएगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब दिल्ली में सड़कों की खराब हालत को लेकर जनता में काफी आक्रोश है। आतिशी ने कहा कि सरकार ने सड़कों की मरम्मत के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की है और इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा ताकि लोग त्योहारों के दौरान सुरक्षित और आरामदायक यात्रा कर सकें।
भाजपा का पलटवार: केजरीवाल को ‘बेकार’मुख्यमंत्री कहा
आतिशी की इस घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सरकार पर निशाना साधा। भाजपा के नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार केवल वादे करती है, लेकिन धरातल पर काम करने में विफल रहती है। उनका कहना था कि केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली की सड़कों की हालत बद से बदतर हो गई है और अब यह नया वादा सिर्फ जनता को भ्रमित करने के लिए किया गया है।
भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि सड़कों की मरम्मत का काम पहले से ही कई महीनों से लंबित है, और अब दिवाली के ठीक पहले यह वादा किया जा रहा है। उनका कहना है कि यह केवल चुनावी राजनीति का हिस्सा है और सरकार के पास इसे पूरा करने का कोई ठोस योजना नहीं है।
जनता की प्रतिक्रिया: विश्वास या शंका?
दिल्ली की जनता इस वादे को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया दे रही है। कुछ लोगों का मानना है कि अगर सरकार यह काम समय पर पूरा कर देती है तो यह एक बड़ा राहत का काम होगा, खासकर त्योहारों के मौसम में। वहीं, कुछ लोग इसे केवल राजनीतिक हथकंडा मान रहे हैं। उनका कहना है कि सड़कों की मरम्मत के वादे पहले भी किए गए थे, लेकिन ज़मीनी स्तर पर बहुत कम काम हुआ है।
कुल मिलाकर, दिल्ली की सड़कों की स्थिति और सरकार द्वारा किए गए इस वादे पर अब सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। क्या सरकार अपने वादे को पूरा कर पाएगी या यह भी एक अन्य चुनावी वादा बनकर रह जाएगा, यह देखना बाकी है।