Padma shri Award: दिल्ली हाई कोर्ट में एक अजीब मामला पहुंचा है। दो लोग, जिनका नाम एक ही है अंतर्यामी मिश्रा, दोनों दावा कर रहे हैं कि उन्हें पद्मश्री सम्मान मिला है। इससे सरकारी रिकॉर्ड में गड़बड़ी हो गई और मामला अदालत तक जा पहुंचा।
एक ही नाम, दो अलग दावे
पहले अंतर्यामी मिश्रा उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। उन्होंने दावा किया है कि उन्हें हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। उनका कहना है कि वह कई सालों से हिंदी साहित्य में काम कर रहे हैं और उनकी कई किताबें भी छप चुकी हैं। उनका दावा है कि भारत सरकार ने उन्हें आधिकारिक रूप से सूचित किया है कि उन्हें यह पुरस्कार दिया जा रहा है।
दूसरे अंतर्यामी मिश्रा बिहार के पटना के निवासी हैं। उनका दावा है कि उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए पद्मश्री से नवाजा गया है। उन्होंने बताया कि वे लंबे समय से गरीबों की सेवा कर रहे हैं और उनकी संस्था शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रही है। उनका भी यही कहना है कि सरकार ने उन्हें औपचारिक रूप से सूचित किया है कि उन्हें पद्मश्री पुरस्कार दिया जा रहा है।
मामला कोर्ट तक कैसे पहुंचा
जब दोनों को एक ही पुरस्कार मिलने की खबर सामने आई तो मामला उलझ गया। दोनों पक्षों ने एक दूसरे के दावे को गलत बताया और अदालत में अपनी बात रखी। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और दोनों को समन जारी कर अदालत में पेश होने का आदेश दिया। कोर्ट का कहना है कि दोनों को अपने अपने दावे के समर्थन में दस्तावेज और सबूत पेश करने होंगे।
गलत दावा करने वालों पर होगी कार्रवाई
अदालत ने साफ कहा है कि अगर किसी ने झूठा दावा किया है या गलत जानकारी दी है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। यह मामला पद्म पुरस्कारों की चयन प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े कर रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि एक ही नाम के दो अलग अलग लोगों को एक ही पुरस्कार मिलने की जानकारी मिले
अब देखते हैं कोर्ट क्या होगा फैसला
अदालत ने अगली सुनवाई अगले महीने तय की है। तब तक दोनों पक्षों को अपने अपने दावों को साबित करने के लिए सबूत जुटाने होंगे। देखना होगा कि अदालत किसके पक्ष में फैसला सुनाती है और यह गड़बड़ी कैसे सुलझती है।