नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। मध्य प्रदेश के हलाली डेम से यूरेशियन ग्रिफिन गिद्ध ’मारीच’ ने उड़ान भरी थी। ऐसे में सबकी जर मारीच गिद्ध पर थी। लोग आसमान में टकटकी लगाए थे कि भारत का बाहुबली कब धरती पर लैंड करेगा। आखिरकार वह दिन आ गया। यूरेशियन ग्रिफिन गिद्ध ’मारीच’ करीब 1500 किमी की लंबी यात्रा पूरी कर सुरक्षित हिन्दुस्तान लौट आया। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, यह गिद्ध इस समय राजस्थान के धौलपुर जिले के क्षेत्र में देखा जा रहा है।
विदिशा के डीएफओ हेमंत यादव ने बताया कि मारीच पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान और कज़ाखस्तान जैसे देशों से होकर गुजरा। गिद्ध की पूरी यात्रा और लोकेशन का रिकॉर्ड सैटेलाइट रेडियो कॉलर के जरिए लगातार ट्रैक किया जा रहा है। यह जानकारी गिद्धों के प्रवास पैटर्न और संरक्षण उपायों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। डीएफओ हेमंत यादव ने बताया कि मई के पहले सप्ताह में कज़ाकिस्तान पहुंचने के बाद, ’मारीच’ ने 23 सितंबर को भारत की ओर उड़ान भरी और 16 अक्टूबर को राजस्थान में प्रवेश किया। इस गिद्ध की ट्रैकिंग से गिद्धों के प्रवास के तरीके और उनके संरक्षण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है।
’मारीच’ गिद्ध की कहानी 29 जनवरी को शुरू हुई, जब वह सतना जिले के नागौद गांव में घायल अवस्था में मिला था। पहले उसका इलाज मुकुंदपुर चिड़ियाघर में हुआ और फिर भोपाल के वन विहार बचाव केंद्र में। दो महीने की देखभाल के बाद, 29 मार्च को उसे हलाली डेम से जियो-टैग लगाकर छोड़ा गया था। मरीच यहां के वातावरण में खुद को ढाल लिया था। वन विभाग के अधिकारी मरीच पर नजर रखते थे। वन विभाग की तरफ से गिद्ध का नाम मरीच दिया गया था। मरीज अप्रैल में भारत की धरती से उड़ा। चार देशों की यात्रा की। करीब 1500 की उड़ान भरी और सुरक्षित भारत की धरती पर उतरा।
डीएफओ हेमंत यादव के के अनुसार, गिद्धों को प्रकृति का सफाईकर्मी कहा जाता है। वे मरे हुए जानवरों को खाकर बीमारियों को फैलने से रोकते हैं। साथ ही, वे पोषक तत्वों को फिर से इस्तेमाल करने में मदद करते हैं, जिससे मिट्टी और पानी की गुणवत्ता बेहतर होती है। यह प्रजाति यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और एशिया के पहाड़ी और शुष्क इलाकों में पाई जाती है। इनकी लंबाई 95 से 110 सेंटीमीटर और पंखों का फैलाव 2.5 से 2.8 मीटर तक होता है। वजन 6 से 11 किलो तक होता है। गर्दन के आसपास पंखों की माला और भूरे रंग के शरीर पर इनके अलग-अलग पंख इनकी पहचान हैं। यह गर्म हवा में घंटों तक ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है।
यूरेशियन ग्रिफिन गिद्ध यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और एशिया के पहाड़ी और सूखे इलाकों में पाया जाता है। कुछ गिद्ध एक ही जगह पर रहते हैं, जबकि कुछ लंबी दूरी की यात्रा करते हैं। ’मारीच’ ने 15 हजार किलोमीटर की यात्रा करके यह साबित कर दिया है कि गिद्ध लंबी दूरी का प्रवास करते हैं। बता दें, भारत में गिद्धों की संख्या में जबरदस्त गिरावट पिछले कुछ सालों में सामने आई है। यूपी के अलावा देश के अन्य राज्य से गिद्ध लापता हो गए हैं। ऐसे में सरकार गिद्धों की संख्या में बढ़ोतरी के लिए अनेक प्रयास कर रही है। एमपी में गिद्धों के सरंक्षण और प्रजनन का कार्य तेजी से हो रहा है।










